जबलपुर:दोस्त से बलात्कार करवाने में पति द्वारा सहयोग किये जाने के आरोप लगाते हुए पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई गयी थी। हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत के लिए दायर अपील की सुनवाई करते हुए पाया कि पति की अग्रिम जमानत याचिका का पीडिता द्वारा विरोध नहीं किया गया था। पीड़ित का कहना था कि पुलिस ने पति को फसाने के लिए दवाब डाला था। हाईकोर्ट जस्टिस एम एस भट्टी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत का लाभ प्रदान किया।
अनूपपुर निवासी सत्यम उर्फ राजा गुप्ता ने बलात्कार सहित अन्य धाराओं के तहत कोतमा दर्ज में दर्ज एफआईआर में अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी। अपील में कहा गया था कि अनुसूचित जाति महिला ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी एफआईआर के अनुसार उसका पति लवकेश बंसल और वह आपस में दोस्त थे। लवकेश ने दोस्त होने के कारण उसे खाने पर बुलाया था। पति का दोस्त होने के कारण पीड़ित ने उसे खाना परोसा था।
इसके बाद महिला अपने कमरे में सोने चली गयी। पति ने कमरे का दरवाजा खुलवा कर राजा गुप्ता को अंदर भेज दिया और बाहर से दरवाजे की कुंडी लगा दी। कमरे में उसे अकेला पाकर याचिकाकर्ता ने उसके साथ बलात्कार को अंजाम दिया।महिला की शिकायत पर पुलिस ने उसके पति तथा याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। पति के द्वारा अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। जिसका महिला की तरफ से कोई विरोध नहीं किया गया। महिला ने न्यायालय को बताया था कि पति को फंसाने के लिए पुलिस ने दबाव बनाया था। प्रकरण में सह आरोपी पति को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी है।
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता निखिल भट्ट ने बताया की महिला ने पूर्व में कोर्ट के समक्ष ये बयान दिया है कि उसके पति की उस कृत्य में कोई भूमिका नहीं थी इसलिए महिला द्वारा गठित पूरी कहानी ही शंकास्पद दिखाई देती है। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत का लाभ प्रदान कर दिया।