जीवन शाला में वरिष्ठ जन सम्मान एवं संवाद कार्यक्रम आयोजित
वरिष्ठजनों का सम्मान उनके बच्चों मे किया, मार्गदर्शन भी मिला
उज्जैन: विश्व को परिवार की अवधारणा देने का कार्य भारत द्वारा किया गया. हमारे ऋषि मुनि जानते थे कि समाज तब तक जीवित रह सकता है जब तक की परिवार जीवित रहेगा. जहां-जहां परिवार विघटित हो रहे हैं वहां का समाज नष्ट हो रहा है. आज के संदर्भ में सारे विश्व की निगाह भारत पर टिकी है. विश्व सभ्यता संकट से गुजर रही है. सनातन बचा रहा तो विश्व की सभ्यता बची रहेगी. यहां के वरिष्ठ नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे परिवार को पतन से बचाए.
यह बात पूर्व संभाग आयुक्त एवं पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. मोहन गुप्त ने अपने जन्म दिवस पर आयोजित वरिष्ठजन सम्मान एवं संवाद समारोह में संबोधित करते हुए कही. समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. बाल कृष्ण शर्मा थे. अध्यक्षता डॉ. केदार नारायण जोशी ने की. जीवन उद्घोष संस्था के तत्वावधान में जीवन शाला कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें वरिष्ठजन सम्मान एवं संवाद हुआ. कार्यक्रम में वरिष्ठ जनों का सम्मान उनके बच्चों द्वारा किया गया और वरिष्ठ जनों द्वारा उन्हें मार्गदर्शन और आशीर्वाद दिया गया. संवाद के अंर्तगत बदलते परिवेश में हमारी पारिवारिक
व्यवस्था के समक्ष चुनौतियां और समाधान विषय पर विद्वतजनों ने अपने विचार रखे. संस्था के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश व्यास ने बताया कि जीवन उद्घोष संस्था पिछले 10 वर्षों से डॉ मोहन गुप्त के जन्म दिवस पर निरंतर वरिष्ठ जन सम्मान एवं संवाद आयोजित करती आ रही है. प्रकाश व्यास एवं पंकज मित्तल ने अतिथियों का स्वागत किया. वरिष्ठ नागरिकों को शॉल एवं फल से सम्मानित किया. संचालन डॉ पिलकेंद्र अरोरा ने किया एवं आभार उपेंद्र शरण गुप्ता ने प्रकट किया. कार्यक्रम में डॉ विमल गर्ग, हरि शंकर शर्मा, शिवकुमार दुबे, अप्रतुल शुक्ला, राधे श्याम शर्मा, श्री विवेक चौरसिया आदि मौजूद थे.
इनका किया सम्मान
जीवनशाला में वरिष्ठजनों का उनके स्वयं के परिवार से सम्मान करवा कर परिवार में समरसता कायम करने के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया गया. जिन वरिष्ठ जनों का सम्मान किया गया उनमें सुभाष व्यास, करुणा त्रिवेदी, नारायण उपाध्याय, बीके शर्मा, डॉ. संतोष पंडिया, जीवन प्रकाश आर्य, शशि मोहन श्रीवास्तव तथा केदारनाथ जोशी शामिल है. कार्यक्रम में वैजयंती गुप्ता विशिष्ट सम्मान सेवा भारती बालिका छात्रावास की प्रीति तैलंग को दिया गया.
स्नेह व प्रेम का आभाव
डॉ. बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि परिवार विघटन की समस्या को परिवार के बुजुर्गों को मिलकर ही दूर करना होगी. डॉ केदार नारायण जोशी ने कहा कि समाज में गरिमा और मर्यादा की कमी है. परिवार का विभाजन विनाशकारी सिद्ध हो रहा है. डॉ. संतोष पंड्या ने कहा कि परिवार के मूल्यों में आ रही गिरावट पर विचार किया जाना चाहिए. डॉ केदारनाथ शुक्ला ने कहा कि घरों में अग्नि का विभाजन दुखद है. डॉ. बी.के. शर्मा ने कहा कि स्नेह व प्रेम का अभाव है. इसके समाधान की आवश्यकता है. नारायण उपाध्याय ने कहा कि समाज को नई पीढ़ी को सुसंस्कृत करना होगा. डॉ शिव चौरसिया ने कहा कि पहले दूर रहकर भी दिल से सब लोग एक हुआ करते थे, आज पास में रहकर दिलों में दूरी आ गई है यह दुखद है. डॉ. शशि मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि पारिवारिक विघटन आज की समस्या है. डॉ.हरिमोहन बुधौलिया ने कहा कि समाज को बचाने में सबको साथ आना होगा.