पन्ना
ःखास बातेंः
1. फिर होगा पन्ना के खनिज का दोहन, जिंदल ग्रुप गैसाबाद दमोह में होगी स्थापित और रॉ मटेरियल पन्ना का लेगी।
2. इको सीमेंट कम्पनी पहले से ही प्रस्तावित मात्र दिखावे के लिए की गई घोषणा।
3. खनिज एवं वन संपदा से परिपूर्ण पन्ना को रीजनल समिट में भी हताशा लगी हांथ।
बुंदेलखंड का सबसे पिछड़ा जिला पन्ना सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या भाजपा की हमेशा से ही पिछड़ा रहा है और आज भी पिछडा है। आज जहां से मुख्यमंत्री के बाद सबसे बडा ओहदा रखने वाले क्षेत्रीय सांसद एवं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष व्ही. डी शर्मा के होते हुए जब जिले को विकास के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा है तो फिर आगे क्या आशा की जाये। सागर संभाग में आयोजित हुई रीजनल समिट का जोर शोर से प्रचार प्रसार किया गया और ऐसा लग रहा था। पन्ना में कई बडी सौगाते मिलेंगी जिससे विकास के द्वार खुलेंगे लेकिन पूर्व की तरह जिले के खाते मे हताशा ही हांथ लगी। एक भी नया उद्योग या कोई सौगात पन्ना जिले को नहीं मिली जहां इको सीमेंट फैक्ट्री की घोषणा की गई है। वह कोई नई नहीं है यहां पूर्व से ही प्रस्तावित है और उसकी स्थापना का कार्य पूर्व से ही चल रहा है। दमोह जिले के हटा तहसील के गैसाबाद मे जो जिंदल ग्रुप की सीमेंट फैक्ट्री की सौगात दी गई है उस फैक्ट्री की चूना, सीमेंट, पत्थर के लिए कोलकरहिया में पूर्व से ही स्वीकृत है। यानी कि कम्पनी दूसरे जिले मे स्थापित रहते हुए पन्ना की खनिज संपदा का मात्र दोहन करेगी और विकास दमोह जिले का होगा। यह अवश्य सौगात जिले को कहे या अभिशाप जरूर मिल गया है। जैसा कि पन्ना जिले में जे के सीमेंट स्थापित है लेकिन कागजों में ही उत्पादन दिखाया जा रहा है पूरा कच्चा माल उत्तर प्रदेश जा रहा है। ज्ञात हो कि गत दिवस
रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव का आयोजन संभागीय मुख्यालय सागर में किया गया। जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। उन्होंने कहा कि आने वाले पांच साल के अंदर हमारी अर्थव्यवस्था दोगुनी करने का लक्ष्य है। जिसे हम तीन साल में ही पूरा करने का प्रयास करेंगे। संभागों और सभी क्षेत्रों में लगातार रीजनल कॉन्क्लेव आयोजित की जा रही है। इसके बाद जिला स्तर पर इन कॉन्क्लेव का आयोजन करने और अच्छे परिणाम लाने के लिए जिला कलेक्टर को पाबंद किया गया है। गौरतलब है कि इस आयोजन से पन्ना में निवेश की प्रबल संभावनाएं जताई जा रही थीं। लेकिन पन्ना निवेश के नाम पर ईको सीमेंट गोयल ग्रुप द्वारा पन्ना में 2000 करोड़ के सीमेंट प्लांट के अलावा अन्य क्षेत्रों में निवेश नहीं मिल सका। जबकि इको सीमेंट कम्पनी के लिए पहले से ही लीज स्वीकृत है और प्लांट के लिए कार्य योजना पर कार्य पहले से ही जारी है। आयोजन के बाद जारी प्रेस ब्रीफ के मुताबिक इस समिट में 23 हजार करोड़ का निवेश हुआ है। वहीं पन्ना में हीरा उद्योग को लेकर भी निवेशकों में उत्साह नहीं दिखा। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक पन्ना के संबंध में कई तरह की उद्योगों पर बात हुई, लेकिन देर शाम तक चली चर्चाओं के बाद निवेश के नाम पर सिर्फ ईको सीमेंट का नाम ही नजर आया। गौरतलब है कि पन्ना मे निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए इस समिट को ध्यान में रखते हुए, कई तरह की बैठकों का आयोजन हुआ, पन्ना में उद्योगों के लिए पर्याप्त भूमि की उपलब्धता भी बताई गई, इसके बाद भी निवेशकों का ध्यान पन्ना की ओर नहीं रहा।
डायमंड माईनिंग को भी नहीं मिला निवेश- पन्ना में हरसा-1 और हरसा-2 डायमंड ब्लाक को चिन्हित किया गया है। प्रिजेंटेशन के दौरान पन्ना, सतना और छतरपुर में 5 डायमंड ब्लॉक चिंहित होने की बात भी रखी गई। बावजूद इसके डायमंड ब्लॉक में निवेश के लिए निवेशकों ने रूचि नहीं दिखाई। इसके अलावा पन्ना में अन्य माईनिंग क्षेत्र में भी निवेश नहीं मिल सका है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में होने वाली अन्य समिट में पन्ना को भी निवेश मिलेगा।