केप टाउन, 28 सितंबर (वार्ता) दक्षिण अफ्रीका के बिजली एवं ऊर्जा मंत्री केगोसिएंटशो रामोकगोपा ने कहा है कि ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के विस्तार से गैस और ऊर्जा के विभिन्न नवीकरणीय स्रोतों के क्षेत्र में सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ेगा।
श्री रामोकगोपा ने रूस की न्यूज एजेंसी स्पूतनिक से कहा, “हमने उन सीमाओं में से एक के रूप में हरित हाइड्रोजन की संभावना पर चर्चा की … (साथ ही) विस्तारित ब्रिक्स के भीतर बड़ी संख्या में ऐसे देश हैं, जो गैस निर्यातक देश हैं। ब्रिक्स समूह के अन्य सदस्य भी होंगे, जो इन देशों के पास मौजूद गैस भंडार से लाभ उठा सकते हैं। इसलिए हमें लगता है कि ब्रिक्स एक ऐसा मंच है, जो परस्पर लाभकारी है। यह एक सहजीवी संबंध है।” इस दौरान उन्होंने रूस, चीन और भारत द्वारा छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर किये जा रहे कार्य का उल्लेख करते हुए कहा कि वे 300 मेगावाट तक उत्पादन कर सकते हैं और कहीं भी तैनात किए जा सकते हैं, जिससे पॉलीसेंट्रिक ऊर्जा उत्पादन के अवसर पैदा होंगे।
उन्होंने कहा, “आप एक वितरित ग्रिड बनाने में सक्षम हैं। आपको देश के एक कोने में उद्योगों को आपूर्ति करने के लिए हजारों किलोमीटर तक लंबी लाइनें चलाने की ज़रूरत नहीं है, आप (बस) छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर लगा सकते हैं। इसलिए, यह ब्रिक्स के सहयोग का एक क्षेत्र है। हम जानते हैं कि वहाँ तकनीक आगे बढ़ रही है।”
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ब्रिक्स का हिस्सा होने से ‘वास्तव में हमें अपनी संबंधित अर्थव्यवस्थाओं और अपने लोगों के हित में बेहतर सहयोग करने का अवसर मिलता है।’
उल्लेखनीय है कि ब्रिक्स की स्थापना 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन को एकजुट करते हुए सबसे बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक सहयोग मंच के रूप में की गई थी। दक्षिण अफ्रीका 2010 में इस समूह में शामिल हुआ। एक जनवरी 2024 को ब्रिक्स ने मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए अपनी सदस्यता का विस्तार किया। सऊदी अरब ने अपनी भागीदारी को औपचारिक रूप नहीं दिया है, लेकिन वह ब्रिक्स बैठकों में भाग ले रहा है।