ग्वालियर। ग्वालियर जिले के दो किसानों ने इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। एक किसान ने अपनी जमीन को दबंगों से बचाने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से तो, वहीं दूसरे किसान ने अपने गांव की गोचर जमीन को दबंगों से बचाने ग्वालियर कलेक्टर से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है।
बड़ागांव के रहने वाले किसान बृजेंद्र सिंह यादव की लगभग 3 रकबा जमीन पर सभी कानूनी दस्तावेज होने के बावजूद दबंगो ने कब्जा कर प्लॉटिंग कर दी। तहसीलदार दफ्तर के चक्कर काटने के बाद जब कोई सुनवाई नही हुई, तो कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम इच्छा मृत्यु का आवेदन सौंपा है। जिसके जरिये मांग की गई है की या तो उसकी जमीन से दबंगो को खदेड़ा जाए, या फिर उसे इच्छा मृत्यु दी जाए। वहीं किसान ब्रजेन्द्र के मामले में एसडीएम अशोक सिंह चौहान का कहना है कि नियमानुसार किसान द्वारा बीते दो दिन पहले ही धारा 250 का आवेदन एसडीएम कोर्ट में दिया है। जमीन पर कब्जा बताने वालों को नोटिस जारी किए जा रहे है, इसके बाद एसडीएम कोर्ट में सुनवाई के बाद ही फैसला दिया जा सकेगा।
वहीं दूसरा पीड़ित किसान महाराजपुरा गांव का रहने वाला कामता प्रसाद कोरी है, जो बीते कई सालों से कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचकर न्याय की गुहार लगा रहा है। वह भू-माफियाओं से गांव की 10 बीघा गौचर जमीन को कब्जा मुक्त कराने की मिन्नतें कर रहा है। मंगलवार को एक बार फिर वह आवेदन लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचा, लेकिन इस बार आवेदन इच्छा मृत्यु का हाथ मे रहा। किसान कामता प्रसाद का कहना है, कि एसडीएम कोर्ट से भूमि को कब्जा मुक्त करने के लिए आदेश भी हो चुके हैं। उसके बावजूद नायब तहसीलदार अनिल नरवरिया शासकीय भूमि से इस कब्जे को हटाने के बदले में 20 हजार रुपये की मांग कर रहा है। यही वजह है की अब वह परेशान होकर इच्छा मृत्यु मांग रहा है।
*कलेक्टर ने कही यह बात*
दो किसानों के इच्छा मृत्यु मांगने पर ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान का कहना है कि जिले में अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है। ज्यादातर देखने में यह भी आता है कि आवेदक जो फैक्ट बताते हैं वह सही नहीं होते हैं। कई आवेदक ऐसे भी मिले हैं, जो खुद शासकीय भूमि पर काबिज होते हैं। ऐसी हालत में दोनों ही किसानों के इच्छा मृत्यु से जुड़े मामले के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह जांच के बाद आगे वैधानिक कार्रवाई करें।