समाज के लोग चाहते हैं सरकार उठाए सख्त कदम
इंदौर: जहां एक ओर महिला के हित में उसे सशक्त बानाने की बात होती है वहीं देश में महिला उत्पीड़न के मामले लगातार सामने आ रहे है. आए दिन महिलाओं पर अत्याचारों से आम लोगों की चिंताएं बढ़ती जा रही है.आज देश में महिलाओं की स्थिति असुरक्षित होती जा रही है. किसी न किसी रूप में महिलाए उत्पीड़न का शिकार हो रही है. जानकारी के अनुसार इन घटनाओं में यौन शोषण की घटनाएं ज़्यादा हैं. देश-प्रदेश में दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही हैं. ऐसें में माता-पिता की चिंता अपनी बेटियों को लेकर कुछ ज़्यादा ही हो रही है. कुछ छात्राएं अभी से अपने भविष्य में आज़ादी नहीं देख पा रही है. वह अभी भी अपने आप को आसुरक्षित महसूस करती है.
इस पर अंकुश लगाने पर विचार किया जाता है लेकिन किसी का ध्यान उस जगह नहीं जाता जहां से शुरूवात होती है. अधिकतर अपराधी है वह निम्न वर्ग से ही है. वह जो अपराध कर रहे हैं मोबाईल पर देख कर रहे है. यह सभी मोबाईल पर आने वाली सूचना से ही फैल रहा है. आज आसानी से और कम खर्च में ही पोर्न साइट मोबाईल पर उपलब्ध है. कई देशों की बात की जाए तो वहां पर मुक्त सुचना नहीं है. वहां पर ऐसी सभी साईट्स बैन है. वही पुरुषों और लड़कों में शिक्षा का अभाव होने के कारण वह रक्षक और भक्षक में फर्क नही कर पा रहे है. इसी चूक से आज उत्पीड़न की घटनाओं पर अंकुश नहीं लग रहा है.
इनका कहना है
सरकार संवेदनहीन हो गई है. जिस जगह पर देवियों को पूजा जाता है. आज वहीं बेटियों को रौंदा जा रहा है. यह समाज और देश पर कलंक है. बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओं के साथ बेटों को भी शिक्षित करें. ताकि उनमें महिलाओं के प्रति रक्षा और आदर जागे. वह अपना चरित्र गौरवान्वित हो.
– डॉ. जनक पलटा, पद्मश्री एंव समाज सेविका
जो विकृति हमारे यहां मोबाईल से आई है इस पर पाबंदी लगाने का काम तो सिर्फ सरकार ही कर सकती है. मनोरंजन की दुनिया ने जो पोर्न साईट्स ओपन कर दिया है सरकार इस पर पाबंदी लगा दे. इसके लिए सरकार को काम करना चाहिए जो सुरक्षा लिए ज़रूरी है.
– डॉ. सोनाली नरगुंदे, विभाग अध्यक्ष पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग देवी अहल्या वि.वि.
महिला उत्पीड़न घटना पुरूष द्वारा होता है, जिस का शिकार महिला या बेटियां होती है. तो ऐसे में एक विंग हो जो कि परिवार के बड़ों और पुरूषों को जागरूक करे. लड़कों के परिवेष में सुधार करना होगा. सरकार को आगे आना होगा ताकि समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सके.
– असलम कुरैशी, समाज सेवी