जबलपुर: संस्कारधानी की ऐतिहासिक धरोहर जिसे हम बड़े फुहारा के नाम से जानते हैं। जो की मुख्य बाजार में स्थित है, जिसे शहर का हृदय स्थल भी कहा जाता है। लेकिन एक बार फिर से अब बड़ा फुहारा शो- पीस बनकर रह गया है जो कि ना अब चालू होता है ना ही इसका मेंटेनेंस भी ठीक तरीके से किया जाता है। जिसके चलते यह सिर्फ जगह के नाम से ही जाना जा रहा है,जबकि इसकी भव्यता और सुंदरता लोगों को देखने नहीं मिल रही है। जिसका परिणाम यह है कि यह न कभी चालू होते दिखाई देता है और ना ही इसकी कभी साफ सफाई या रंग रोगन आदि किया जाता है।
ऊग गई जंगली घास, नहीं होती सफाई
बड़ा फुहारा अपनी देखरेख और मेंटेनेंस के अभाव से बहुत ही दूर जा चुका है। जिसका परिणाम यह है कि इसके अंदर जो पानी भरा हुआ है वह सडऩे लगा है, और इसकी सफाई भी नहीं की जाती है। यहां तक कि इसके चारों तरफ जंगली घासें भी ऊग गई हैं। शहर के हृदय स्थल कहे जाने वाले बड़े फुहारा क्षेत्र में स्वयं बड़ा फुहारा ही अपनी सुंदरता खो बैठा है। पिछ्ले कई दिनों से फुहारा कभी चालू होता ही नहीं दिखाई दिया है।
चारों तरफ व्यापार, जानवरों का डेरा
बड़े फुहारा के चारों तरफ आम दिनों में सडक़ किनारे छोटे व्यापारी अपना कब्जा जमाए बैठे रहते हैं। जिसके चारों तरफ बैठकर लोग व्यापार व्यवसाय करते हैं। वहीं दूसरी तरफ सुबह शाम यहां जानवरों का भी डेरा लगा रहता है। मुख्य सडक़ और फुहारा के चारों तरफ जानवर आदि बैठे रहते हैं ।जिसके कारण यातायात में समस्या तो होती ही है परंतु किसी दुर्घटना का होने का भय भी लगा रहता है।