खंडित भारत को जोड़ने का काम ही राष्ट्र निर्माण का काम:डॉ बाजपेयी

धर्म, संस्कृति और आध्यात्म से ही भारत को मिलेगा विश्व गुरू का दर्जा-राजेन्द्र शुक्ल
उप मुख्यमंत्री ने किया आध्यात्मिकता और राष्ट्र निर्माण उद्बोधन श्रृंखला का शुभारंभ
सतना :प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि आजादी के 100वें वर्ष 2047 में भारत विकसित देश बनने के साथ ही अपनी संस्कृति, धर्म और आध्यात्म से विश्व गुरू का दर्जा हासिल करेगा। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल शनिवार को सतना के टाउन हाल में आध्यात्मिकता और राष्ट्र निर्माण विषय पर अंतर्राष्ट्रीय उद्बोधन श्रृंखला का शुभारंभ कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महापौर योगेश ताम्रकार ने की और मुख्य वक्ता के रूप में अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर (छत्तीसगढ) के कुलगुरू आचार्य अरूण दिवाकर नाथ बाजपेयी उपस्थित रहे।गुरू परंपरा के अंतर्गत कुलगुरू कुंभ के अवसर पर विश्वभर आध्यात्म एवं विज्ञान संस्थान और भारतीय संस्कृति एवं स्वदेशी सुरक्षा समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित आध्यात्मिकता और राष्ट्र निर्माण विषयक उद्बोधन श्रृंखला का शुभारंभ उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने दीप प्रज्जवलन कर किया।

उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि देश हर क्षेत्र में तेज गति से प्रगति कर रहा है। देश की अर्थव्यवस्था जो दुनिया में 11वें स्थान पर होती थी। वर्तमान में भारत अर्थव्यवस्था के मामले में दुनिया में 5वें पायदान पर है और वह दिन दूर नहीं जब हम आगामी 5 वर्षों में अर्थव्यवस्था के मामले में तीसरे स्थान पर होंगे। आजादी के 100वें साल में हमारा भारत देश एक विकसित राष्ट्र बनकर अपने धर्म, आध्यात्म और संस्कृति के बल पर विश्व गुरू के स्थान पर होगा और पूरी दुनिया को दिशा देगा। श्री शुक्ल ने कहा कि कभी-कभी आर्थिक स्थिति की सुदृढता गलत दिशा में भी ले जाती है। उन्होंने कहा कि नई पीढी अक्सर आर्थिक सुदृढता में संस्कृति और आध्यात्म से दूर होकर मार्ग से भटक जाती है।

हमारे देश में भगवान राम और कृष्ण ने जन्म लिया है तो हम भारतवासी अपने धर्म और आध्यात्म से अलग नहीं हो सकते। दुखी मानवता को देखकर दुखित होना, घायल और बीमार को मानवीय भावना से अस्पताल पहुंचाकर इलाज करना भी आध्यात्मिकता है। उन्होंने कहा कि देश की चतुर्दिक प्रगति के साथ धर्म और आध्यात्म की पुर्नस्थापना में अतुलनीय योगदान किया है। बिना आध्यात्म के भारत को विश्व गुरू का दर्जा दिलाने का कार्य नहीं हो सकता। हमारे धर्म, हमारा ज्ञान, हमारी आस्था और मेहनत विकास की नई ऊंचाईयों तक पहुंचाते हैं और विश्व में शांति और कल्याण की दिशा में आगे बढते हैं।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ बाजपेयी ने कहा कि भारत वर्ष जैसे देश का राष्ट्र निर्माण न कभी किया गया है न कभी किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि भारत का प्रदुर्भाव हजारों वर्ष पुराना है. उसे समयानुकूल बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारत की बौद्धिक संपदा को चूरा कर अग्रेजो ने जो ज्ञान का आडम्बर खड़ा किया था.अब भारत को अपनी क्षमताओं को समझ कर आगे बढ़ाना चाहिए. तभी राष्ट्र का निर्माण सम्भव है. कार्यक्रम का संचालन कमल शर्मा ने किया,जबकि अंत मे आयोजन समिति के उमेश दुबे ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया.
इनकी रही उपस्थित
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष रामखेलावन कोल, म.प्र. कोल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रामलाल रौतेल, दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन, श्रीकांत महेश्वरी, मणिकांत महेश्वरी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुस्मिता पंकज सिंह परिहार, कुलगुरू महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विवि प्रो. भरत मिश्रा, अवधेश प्रताप सिंह विवि राजकुमार आचार्य, रानी दुर्गावती विवि के पूर्व कुलगुरू कपिल देव मिश्रा, एकेएस विश्व विद्यालय के कुलाधिपति बीपी सोनी सहित मध्यप्रदेश और अन्य प्रांतों से आये शिक्षाविद गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
इनको किया गया सम्मानित
इस अवसर पर आयोजक संस्था द्वारा उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल को आचार्य श्री श्रेष्ठ जन सेवा सम्मान से अलंकृत भी किया गया।इसी प्रकार डॉ बाजपेयी ,डॉ राजकुमार आचार्य,डॉ भरत मिश्रा, डॉ कपिलदेव मिश्रा को सम्मानित किया गया

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