बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करें- राष्ट्रपति मुर्मू

सबके विकास में ही आपका विकास निहित है

 

नवीनतम टेक्नोलॉजी के प्रयोग से आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह संपन्न

46 विद्यार्थियों को गोल्ड और राज्य पदक से किया सम्मानित

पीएचडी और डीएसी शोध स्नातकों की उपाधि स्वीकृत

 

नवभारत न्यूज

 

इंदौर। बेटियों को आत्मनिर्भर और शिक्षित करने में सहयोग और प्रोत्साहित करें। विकसित भारत में बेटियो का योगदान भविष्य में अहम होगा। सम्मान में बेटियो की संख्या बेटों से ज्यादा होने पर बधाई देती हूं।

पिछड़ों को आगे लाने में सरकार ही नहीं, बल्कि सबका साथ और सहयोग जरूरी है।

महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने आज उक्त विचार देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में संबोधित करते हुए कहे। राष्ट्रपति ने कहा विश्वविद्यालय स्थापना के  60 वें हीरक जयंती समारोह में शामिल होकर प्रसन्न हूं। सभी पदक विजेताओं और माता पिता  और शिक्षकों बधाई देती हूं।  देवी अहिल्या बाई होलकर की 3 सौ वीं जयंती मनाई जा रही है। अहिल्या बाई को उनके पिता ने उस समय शिक्षित किया,  जब बेटियों को शिक्षा देने पर सामाजिक विरोध किया जाता था।

 

अहिल्याबाई ने पुण्य कार्य किया

 

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि देवी अहिल्या बाई ने महिला सशक्तिकरण के लिए 18 वीं सदी में प्रयास किया है । उन्होंने नवीन और सफल प्रयास से महिलाओं के विकास और आजीविका का पुण्य काम किया है। अहिल्या बाई ने जनजातीय क्षेत्रों की महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी  कार्य किए। वे एक कुशल प्रशासक के साथ न्यायप्रिय महिला थी। उन्होंने महिलाओं के लिए नवीन और सफल एवं क्रांतिकारी परिवर्तन के साथ विश्वास के रास्ते बनाएं। उनके द्वारा आर्थिक, समाजिक कार्य आज सुगमता से चल रहे है। उनका देश विदेश में भी खूब नाम है,  स्कॉटलैंड की कवियत्री ज्वाला केटी ने उन पर कविता लिखी है। उनकी उदारता, व्यक्तित्व को नमन करती हूं।

 

 

शहर वासियों को बधाई

 

 

इसके पूर्व राष्ट्रपति ने इंदौर के सात बार स्वच्छता में नंबर वन बनने के लिए शहरवासियों को बधाई दी।

 

 

सोच समझकर निर्णय लें

 

मुर्मू ने कहा कि 2047 के विकसित भारत निर्माण में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। विधार्थी भविष्य में बड़े सपने देखकर देश के विकास में योगदान देकर देश के विकास में महती भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि आज भी कई छात्र छात्राओं को दुविधा है कि वे आगे पढ़ाई जारी रखे या नौकरी करे। राष्ट्रपति ने नसीहत देते हुए कहा कि माता पिता और शिक्षकों से राय लेकर सोच समझकर कोई निर्णय करे।

 

विश्वविद्यालय का नाम रोशन करें

 

उन्होंने पदक विजेताओं को कहा , नैतिक मूल्यों, मित्रता और संस्कार के साथ विश्विद्यालय का नाम रोशन करने में आपकी भूमिका बहुत बड़ी है। भविष्य में क्षमता के अनुसार आगे बढ़े और शिक्षा ग्रहण करने की रुचि कभी खत्म नहीं होनी चाहिए। शिक्षा के साथ नवीनतम टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने से देश के विकास में ही स्वयं का विकास निहित होने की बात कहते हुए सभी को बधाई दी।

 

 

अहिल्याबाई में जीवंत उत्साह था : राज्यपाल

 

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि  दीक्षांत समारोह का आयोजन हम सबके लिए गर्व और गौरव का विषय है। दीक्षांत समारोह माता-पिता के त्याग तप,गुरूजन के आशीर्वाद और विद्यार्थी जीवन के अनुशासन और परिश्रम से प्राप्त सफलता का अविस्मरणीय पल है।

उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या बाई में राजनीतिक, महिला सशक्तिकरण, जनसेवा और देश के धार्मिक एवं आध्यात्मिक उत्थान का जीवंत उत्साह था। विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों के लिए यह  गौरव की बात है कि वे लोक माता के रूप में विख्यात देवी अहिल्या बाई के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे है। देवी अहिल्या बाई की सैकड़ों साल बाद भी जनमानस पूजा करता है, क्योंकि उन्होंने स्वयं को एक ऐसे उदाहरण के रूप में स्थापित किया है, जिसका सब कुछ था लेकिन स्वयं के लिए कुछ भी नहीं था। उन्होंने समाज की सेवा को ईश्वर की सेवा माना था।

 

 

राज्यपाल  पटेल ने सभी युवाओं से आह्वान किया कि देवी अहिल्याबाई से प्रेरणा लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के सपने को पूरा करने में एक निष्ठ, ईमानदार योगदान के लिए संकल्प बद्ध होकर प्रयास करें।सभी विद्यार्थियों से अपेक्षा करता हूं कि वे अपने माता-पिता और आचार्यों को भगवान समान मानें और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को अच्छे से निभाएं।

 

 

सुशासन की पुरोधा थी अहिल्याबाई : डॉ मोहन यादव

 

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई समाज सुधारक, न्याय प्रिय, स्वराज एवं सुशासन की पुरोधा थीं। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या बाई ने अपने राज्य के बाहर जाकर लोगों के समग्र कल्याण के लिये भी अनेक काम किये हैं। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या बाई का जीवन हमारे लिए आदर्श और प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कठिन दौर में शिक्षा हासिल की। संघर्षों और कठिनाईयों का सामना करते हुए साहस के साथ आगे बड़ी है। उन्होंने कहा कि  देवी अहिल्या बाई ने हिमालय की चोटी एवरेस्ट से ऊँचा मनोबल लेकर अपना जीवन जिया है। यह हम सब के लिए प्रेरणा का पुंज है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सभी क्षेत्रों में कृत संकल्पित होकर कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बौद्धिक सम्पदा पुष्पित और पल्लवित हो रही है। हमारे प्रदेश में अपार बौद्धिक सम्पदा है। हम बौद्धिक सम्पदा का उपयोग प्रदेश के चहुमुखी विकास के लिये कर रहे है।

 

 

पुस्तिका भेंट

 

 

समारोह में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तिका अतिथियों को भेट की गई। कार्यक्रम के प्रारंभ में कुलगुरू श्रीमती रेणु जैन ने स्वागत भाषण दिया।

 

यह भी थे मौजूद

 

इस अवसर पर केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर , नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के गुरुजन,प्रशासन,पुलिस के अधिकारी मौजूद थे।

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