फर्जी अंकसूची से 30 साल की सरकारी नौकरी का मामला
जबलपुर: कक्षा 5वीं-8वीं की फर्जी अंकसूची के आधार पर संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सभाग जबलपुर में भृत्य के पद पर 30 साल तक नौकरी कर चुकी महिला के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज कर ली परंतु जांच को ठँडे बस्ते में डाल दिया गया। जानकार बताते है कि अगर पुलिस इस फर्जीवाड़े में जांच का दायरा बढ़ाए तो कई चेहरे बेनकाब हो सकते है।
विदित हो कि संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग जबलपुर में अनीशा बेगम की नियुक्ति हुई। आठ मई 1995 को उसे नियुक्ति आदेश जारी हुआ था। इसके बाद से वह भृत्य की नौकरी करने लगी। 30 साल बाद हाल ही में आला अधिकारियों को शिकायत मिली की अनीशा की अंकसूची फर्जी हैं। इसके बाद जांच के आदेश दिए गए।
जांच के दौरान पूछताछ में अनीशा ने बताया कि वह निरक्षर है। इसके बाद अंकसूचियों की जांच शुरू हुई। पांचवी की अंकसूची में उसकी जन्मतिथि 11 जून 1964 दर्ज और आठवीं की अंकसूची में सात जुलाई 1965 अंकित है। पांचवीं की परीक्षा में स्वाध्यायी अंकित था, जबकि आठवीं की अंकसूची में केंद्राध्यक्ष के स्थान पर प्राचार्य जनता स्कूल पसियाना जबलपुर की पद मुद्रा सहित हस्ताक्षर हैं। संस्था प्रधान के स्थान पर केन्द्राध्यक्ष के हस्ताक्षर और सभागीय पूर्व माध्यमिक परीक्षा की पद मुद्रा अंकित है। अनीशा की सेवा पुस्तिका की जांच की गई तो उसमें पांचवीं पास होने की जानकारी दर्ज थी। यह भी पता चला कि पांचवी की फर्जी अंकसूची बनाकर उसने नौकरी प्राप्त की थी। बाद में आठवीं की भी फर्जी अंकसूची बनाई।
इन बिन्दुओं पर भी हो जांच
भृत्य के पद पर नियुक्ति के लिए कक्षा 5 वीं एवं 8 वीं की कूटरचित अंकसूची कैसे बनी। जिसमें कौन-कौन शािमल है। इसके अलावा फर्जी अंकसूची की जांच किए बिना नौकरी कैसे मिल गई और फर्जीवाड़े के दम पर 30 साल तक कोई कैसे सरकारी नौकरी पर काबिज रहा। जिसमेें जिस स्कूल से अंकसूची बनी है वहां बैठे जिम्मेदारों से भी पूछताछ के साथ जांच पड़ताल हो तो बड़े खुलासे हो सकते है।
इनका कहना है
अनीसा बेगम द्वारा धोखाधड़ी कर कूटरचित फर्जी अंकसूची के माध्यम से नियुक्ति प्राप्त करना पाये जाने पर अनीसा बेगम भृत्य, कार्यालय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग जबलपुर के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 का अपराध दर्ज है। मामले की विस्तृत जांच जारी है।
प्रवीण कुमार, बेलबाग थाना प्रभारी