लैंगिक न्याय के लिए पुरुष मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता: धनखड़

नयी दिल्ली 16 सितंबर (वार्ता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पुरुष मानसिकता में बदलाव और व्यापक लैंगिक संवेदनशीलता की आवश्यकता पर जोर देते हुए सोमवार को कहा कि महिलाओं को चुनौतियों का सामना करने के लिए “ग्लास सीलिंग” तोड़नी चाहिए।

श्री धनखड़ ने यहां एक निजी टेलीविजन समाचार चैनल के वार्षिक कार्यक्रम “शी शक्ति 2024″ में “महिला सशक्तिकरण के लिए समग्र दृष्टिकोण” पर अपने विचार रखते हुए कहा कि समाज में व्यापक सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, “हमारी महिलायें शासन के हर क्षेत्र में भाग ले रही हैं। वे समर्पण, प्रतिबद्धता और प्रतिभा का उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं।” उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर लैंगिक भेदभाव समाप्त हो गया है, लेकिन यह सूक्ष्म रूप में मौजूद है। यही वह क्षेत्र है, जहाँ हमें सबसे अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि सूक्ष्म भेदभाव खुले भेदभाव से कहीं अधिक खतरनाक है, क्योंकि खुले भेदभाव का विरोध किया जा सकता है, लेकिन सूक्ष्म भेदभाव का विरोध करना कठिन होता है। पुरुष मानसिकता में एक व्यापक बदलाव की आवश्यकता है।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं पर व्यंग्यात्मक टिप्पणियों को अत्यंत शर्मनाक और घृणित करार देते हुए श्री धनखड़ ने कहा, “हमें उन विक्षिप्त विचारों को दृढ़ता से अस्वीकार करना चाहिए, जो कोलकाता के अस्पताल में ड्यूटी पर रहते हुए एक महिला डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या की क्रूरता को कम करते हैं। यह शर्म की बात है। हमें अपनी आत्मा के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए, हमारा दिल दुखना चाहिए। यह एक प्रायश्चित का मामला है, सुधार की ओर बढ़ने का मामला है।”

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की प्रावधान की सराहना करते हुए श्री धनखड़ ने इसे एक ऐतिहासिक विकास बताया। उन्होंने कहा कि यह अब तक महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में सबसे प्रभावशाली कदम है। उन्होंने कहा, “यह विकास में अमूल्य भागीदारी और विधानसभाओं और कार्यपालिका में ठोस भागीदारी का अवसर प्रदान करेगा।”

“बंगलादेश में जो हुआ, वही यहाँ हो सकता है” – टिप्पणी का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ” मैं कहता हूँ, मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है, न केवल लैंगिक न्याय के लिए, बल्कि हमारे राष्ट्रीयता की प्रतिबद्धता के लिए भी। हमें यह नहीं अनुमति देनी चाहिए कि लोग रोज़-रोज़ राष्ट्रीय हित को स्वार्थी और दलगत हित के लिए नजरअंदाज करें।”

महिलाओं से अपील करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि उन्हें चुनौतियों का सामना करना चाहिए और उन “ग्लास सीलिंग” को तोड़ना चाहिए जो‌ उनकी उन्नति में रुकावट डालती हैं।

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