कृषि विभाग के निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा हुई फसलों की बोनी, अधिकांश फसलों की शत प्रतिशत हुई बोनी
सीधी : जिले में देर से बारिश होने के कारण बोनी का कार्य भी खरीफ सीजन में काफी विलंब से शुरू हुआ। फिर भी कृषि विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्य से ऊपर फसलों की बोनी का कार्य हुआ। 22 अगस्त की स्थिति में सीधी जिले में 153.52 हजार हेक्टयर क्षेत्रफल में खरीफ सीजन की बोनी का कार्य पूर्ण हो चुका है।किसानों द्वारा सबसे ज्यादा 113.80 हजार हे. क्षेत्रफल में धान के फसल की बोनी की गई है। जिले में कृषि विभाग द्वारा खरीफ सीजन में 152.72 हजार हे. बोनी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निर्धारित लक्ष्य से ऊपर बोनी का कार्य पूर्ण किया गया है। यह बोनी कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य के 101 प्रतिशत है। कृषि विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि सीधी जिले में अल्पवर्षा के चलते खरीफ सीजन में बोनी का कार्य आरंभ में काफी प्रभावित हुआ था। आषाढ़ का महीना जो कि बारिश के लिए जाना जाता था उस दौरान वर्षा का आगाज ही सीधी जिले में नहीं हुआ।
सावन का महीना लगने के बाद हल्की बारिश हुई लेकिन यह बोनी के अनुसार पर्याप्त नहीं थी। इसी वजह से रोपा लगाने की तैयारी में बैठे किसान काफी मायूशी में थे। चर्चा के दौरान कुछ किसानों ने बताया कि सावन का प्रथम सप्ताह गुजरने के बाद अल्पवर्षा जिले में हुई थी। इसके बाद ही किसानों द्वारा धान का रोपा लगाने के लिए बेहन डाला गया। बाद में बारिश होने पर रोपा लगाने का कार्य पूर्ण किया गया। मालूम रहे कि खरीफ सीजन में समय पर बारिश न होने के कारण बोनी को लेकर संशय की स्थिति निर्मित हो रही थी। जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं नहीं थी उनके द्वारा धान के स्थान पर अरहर की बोनी किए। जिससे कुछ उपज दलहनी के रूप में ही मिल सके। कुछ किसान राई एवं रावा लगाया। जिससे कम मेहनत एवं पानी के अभाव में ही खेती का कार्य किया जा सके।
चर्चा के दौरान कुछ किसानों ने बताया कि सीधी जिले में जिन स्थानों की मिट्टी अच्छी है वहां के किसान खरीफ सीजन में धान की बोनी ही प्राथमिकता के साथ करते रहे हैं। यह अवश्य है कि विगत दो वर्षों से खरीफ सीजन में बारिश काफी विलंब से हो रही है। जिसके चलते काफी किसान धान के स्थान पर अन्य फसलों की बोनी कर रहे हैं। कुछ किसान अपने खेतों को पड़ती भी रखे हुए हैं। शासन द्वारा मोटे अनाजों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। दरअसल मोटे अनाजों का उपयोग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए काफी अहम है। मोटे अनाजों की कीमतें भी काफी ज्यादा हैं। मोटे अनाजों की मांग सीधी जिले के साथ ही बड़े शहरों में भी काफी ज्यादा है। डायबिटीज, बीपी समेत अन्य कई गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीजों द्वारा मोटे अनाजों को ही भोजन के रूप में शामिल किया जा रहा है। इस वजह से बाजार में जहां 50 रुपए किलो से ही अच्छी क्वालिटी का चावल मिलने लगता है। वहीं मोटे अनाजों में कोदौ, सावां, कुटकी, मक्का की कीमतें काफी ज्यादा हैं। कोदौ तो बाजार में 200 रुपए किलो तक बिक रहा है और उसकी इतनी ज्यादा मांग है कि दुकान में पहुंचते ही खत्म हो रहा है। इसी वजह से पहाड़ी अंचलों के किसानो के साथ ही ऐसे किसान जिनकी भूमि कम उपजाऊ है वहां मोटे अनाजों की खेती काफी प्राथमिकता के साथ अब सीधी जिले में होने लगी है। खासतौर से जिले के दक्षिणी क्षेत्र में मोटे अनाजों की सबसे ज्यादा खेती शुरू हो चुकी है। कम उम्र में ही लोग गंभीर बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं। इसी वजह से शासन द्वारा जैविक खादों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
खरीफ सीजन में बोई गई फसलों की स्थिति
ंजिले में खरीफ सीजन में बोई गई फसलों के जो आंकड़े कृषि विभाग को मिले हैं उसके अनुसार धान 113.80 हजार हे., ज्वार 2.00 हजार हे., मक्का 2.20 हजार हे., बाजरा 0.02 हजार हे., कोदौ-कुटकी 2.00 हजार हे., अरहर 18.00 हजार हे., मूंग 1.50 हजार हे., उड़द 6.00 हजार हे., तिल 8.00 हजार हे., सोयाबीन 00 हजार हे. क्षेत्रफल में बोनी की गई है। कृषि विभाग का मानना है कि सीधी जिले में आरंभ में अल्पबारिश होने के कारण खरीफ सीजन की बोनी का रकवा काफी घटा था। लेकिन बाद में मानसून के सक्रिय होने के बाद बोनी का प्रतिशत बढ़ा है। 20 अगस्त तक किसानों द्वारा खरीफ सीजन में बोनी का कार्य किया जा रहा था, इसी वजह से विभाग द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य के करीब फसलों की बोनी कार्य पहुंच गया है। जिले में अब खरीफ की बोनी का कार्य किसानों द्वारा लगभग पूरा किया जा चुका है। खेतों में खड़ी फसलों की पैदावार के लिए अब आवश्यकता है कि समय-समय पर बारिश होती रहे।
इनका कहना है
जिले में अच्छी बारिश के कारण खरीफ फसलों की बोनी लक्ष्य से ज्यादा हो चुकी है। आरंभ में बारिश भले ही नहीं हुई लेकिन बाद बारिश का सिलसिला चलता रहा। जिसके चलते अच्छी बोनी हुई और फसलों की पैदावार भी काफी बेहतर हालत में है।
संजय श्रीवास्तव, उपसंचालक कृषि विभाग सीधी