सिंगरौली : जिले के मोरवा-मेढ़ौली स्थित वार्ड क्रमांक 10 के विस्थापितों ने 14 सितंबर को एनसीएल की दुद्धीचुआं एवं जयंत परियोजना की खदान को पूरी तरह से बंद करने की तैयारी कर ली है।भारतीय विस्थापित संघ सिंगरौली के बैनर तले होने जा रहे इस आंदोलन में सिंगरौली के पूर्व विधायक रामलल्लू बैस का भी समर्थन मिल रहा है। 1980 से 2000 तक विस्थापित हुए लोगों का आरोप है कि एनसीएल की दुद्धीचुआं एवं जयंत परियोजना को कई बार मांग पत्र सौंपा गया एवं कई बार बैठक भी की गई। लेकिन एनसीएल प्रबंधन ने विस्थापितों के मांग पत्र पर किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया। विस्थापितों का आरोप है कि विस्थापन के बाद उन्हें मुआवजा तो दे दिया गया।
परंतु उन्हें कहीं भी प्लॉट नहीं दिया गया। ना ही प्लॉट के बदले राशि का भुगतान किया गया। इसी मुद्दे पर लोगों ने फरवरी 2022 में एनसीएल की जयंत खदान को बंद किया गया था। जिसके बाद विस्थापितों को एनसीएल प्रबंधन द्वारा 3 महीने के भीतर सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन आज तक उनकी एक भी मांगे पूरी नहीं की गई। इसे लेकर भारतीय विस्थापित संघ सिंगरौली के पदाधिकारीयों ने पूर्व विधायक सिंगरौली रामलल्लू बैस से मुलाकात कर एनसीएल के काम को बंद करने की रणनीति बनाई है। पूर्व विधायक रामलल्लू बैस ने कहा कि एनसीएल की गलत नीतियों से तंग आकर विस्थापित 14 सितंबर को एनसीएल दुद्धीचुआ एवं जयंत परियोजना को बंद करेंगे।
पूर्व विधायक ने कहा कि मेढ़ौली वार्ड क्रमांक 10 में एनसीएल दुद्धीचुआं एवं जयंत परियोजना द्वारा भूमि अधिग्रहण किया गया है। जिसमें मुआवजे को लेकर विस्थापितों में असंतोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि विस्थापितों ने कई बार एनसीएल को मांग पत्र सौंप अपनी समस्याओं से अवगत कराया था। जिसे लेकर एनसीएल प्रबंधन ने मीटिंग पर मीटिंग की। लेकिन विस्थापितों के मांग पत्र पर किसी भी प्रकार का निर्णय नही लिया। जिसको लेकर भारतीय विस्थापित संघ सिंगरौली के बैनर तले बड़ी संख्या में एकत्रित होकर 14 सितंबर को एनसीएल दुद्धीचुआं एवं जयंत परियोजना की खदान को बंद करेंगे।