याचिकाकर्ता ने सरकार के जवाब पर पेश की आपत्ति, रिज्वाइंडर पेश करने मिली मोहलत
जबलपुर। जंगल को तबाह कर जमीन में कब्जा करने वालों को सरकार द्वारा कृषि व आवासीय पट्टा दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि जंगलों के काटे जाने से पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकारी की तरफ से पेश किये गये जवाब में कहा गया कि जंगल की कटाई पूरी तरह से बंद हो गयी है। सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ता की तरफ से आपत्ति पेश की गयी। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ ने याचिकाकर्ता को सरकार के जवाब पर रिज्वाइंडर पेश करने की मोहलत देते हुए अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है।
बुरहानपुर निवासी पाडुरंग सहित अन्य पांच कृषक की तरफ से दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि जिले में स्थित जंगलों को काटकर उनकी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है। अवैध कब्जा करने वालों लोगों को सरकार द्वारा उक्त जमीन का कृषि व आवासीय पट्टा प्रदान किया जा रहा है। जंगल के काटे जाने से पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। जंगल के काटे जाने से वन्य प्राणियों के जीवन भी खतरे में है। याचिका में कहा गया था कि जंगलों को बचाने के लिए साल 2001 में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कमेटी गठित की थी। कमेटी ने साल 2003 में अपनी अनुशंसाओं की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। कमेटी द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट में अलमारी में बंद कर रख दिया गया है।
याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश उक्त जवाब पेश किया गया। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि एक ही परिवार के कई सदस्यों को पट्टे आवंटित किये गये है। पट्टे की आड में जंगल की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। पूर्व में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान कमेटी द्वारा की गयी सिफारिशों का पालन नहीं किया जा रहा है। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अधिवक्ता डॉ अनुवाद श्रीवास्तव ने पैरवी की।