भारत को विकसित बनाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाना अपरिहार्य : सिसोदिया

नयी दिल्ली, 05 सितंबर (वार्ता) दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण के लिए शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाना अपरिहार्य है।

श्री सिसोदिया ने यहाँ एक समारोह में आज कहा , “हमारे देश में शिक्षकों का वेतन एक आईएएस से अधिक होनी चाहिए। अगर हमें 2047 में विकसित भारत का सपना सच करना है तो यह कदम इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। हमारे देश का भविष्य हमारे बच्चे ही हैं और शिक्षक भारत के भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। सिसोदिया ने अमेरिका, जापान, सिंगापुर, स्वीटजरलैंड का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों में शिक्षकों का वेतन वहां के सबसे बड़े नौकरशाह से भी अधिक है। लिहाजा हमें विकसित भारत के निर्माण के लिए शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाने होंगे।”

उन्होंने कहा , “अब वक्त आ गया है कि हमारे देश में शिक्षकों का वेतन देश के किसी भी सरकारी कर्मचारी से अधिक होना चाहिए। यहां तक कि किसी आईएएस अधिकारी से भी अधिक होनी चाहिए। भारत जैसे देश में जहां, हम हज़ारों-हज़ार साल से गुरू को भगवान का दर्जा देते आए हैं, एक शिक्षक की सैलरी किसी भी सरकारी अधिकारी से तो अधिक होनी ही चाहिए? यहां तक कि 30-35 साल के अनुभवी अध्यापक की सैलरी कैबिनेट सेक्रेटरी से अधिक होनी चाहिए।”

इस दौरान महापौर डॉ. शैली ओबेरॉय ने कहा कि शिक्षक बच्चों को सही मार्गदर्शन देते हैं, जिससे वो आगे चलकर देश का नाम रौशन करते हैं। निगम स्कूलों में पढ़ने वाले मध्यम या गरीब परिवार से आते हैं। कई बच्चों के माता-पिता भी पढ़े-लिखे नहीं होते हैं इसलिए निगम के शिक्षकों को बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता को भी संभालना होता है। उन्हांेने कहा कि शिक्षकों का काम केवल विषयों का ज्ञान देने तक सीमित नहीं है। शिक्षक बच्चों के सामाजिक और व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ नैतिक मूल्य भी सिखाते हैं।

 

 

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