मध्य प्रदेश को चाहिए था और……!

केंद्रीय बजट में मध्य प्रदेश की पूरी तरह से उपेक्षा तो नहीं हुई है लेकिन जितना मिला है उससे अधिक की अपेक्षा थी. राजनीतिक रूप से भी प्रदेश ने भाजपा को यहां शत प्रतिशत सफलता अर्जित करके दी है. प्रदेश भाजपा के लिए एक मॉडल की तरह है. इसके बावजूद मध्य प्रदेश को उम्मीद से कम दिया गया है.वर्ष 2024-25 में राज्य को केंद्रीय करों में 98 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। यह पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 11,205 करोड़ रुपये अधिक हैं.इसी तरह केंद्रीय सहायता अनुदान 44 हजार करोड़ रुपये मिल सकता है। विशेष केंद्रीय सहायता योजना में 11,700 करोड़ रुपये मिल सकते हैं.यह राशि बिना ब्याज के केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है. पिछले दो वर्ष में मिली केंद्रीय करों की हिस्सेदारी को देखा जाए तो 2022-23 में 64107 करोड़ रुपये केंद्रीय करों से प्रदेश को मिले थे और यह राशि पिछले वर्ष 2023-24 में बढक़र 86,702 करोड़ हो गई थी. यानी दो वर्ष में मध्य प्रदेश को 33,893 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक बढ़त मिली है.इसी तरह केंद्रीय सहायता अनुदान भी 44 हजार करोड़ रुपये से अधिक का होगा.यह राशि विभिन्न योजनाओं के माध्यम से मिलती है. विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत 10 हजार 910 करोड़ रुपये के प्रस्ताव भेजे गए थे.4, 318 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल चुकी है.बजट में इस योजना अंतर्गत राशि को एक लाख 30 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर एक लाख 50 हजार करोड़ रुपये किया गया है.इसके अनुसार प्रदेश को 11,700 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. दरअसल,हैडलाइन मैनेजमेंट के हिसाब से बजट भाषण में मध्य प्रदेश कहीं नहीं दिखता, लेकिन बजट के आवंटन पर निगाह डाली जाए तो तस्वीर दूसरी दिखती है. खासतौर पर राज्यों को मिलने वाले टैक्स बेनिफिट शेयरिंग के अलावा बजट में आदिवासियों के लिए जो प्रावधान किए गए हैं उसका बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश में आएगा. बजट से देश के 15 करोड़ आदिवासी आबादी को फायदा होने वाला है. मध्य प्रदेश में दो करोड़ से ज्यादा आदिवासी रहते हैं. जाहिर है आवंटित राशि का बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश को मिलेगा. इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में जितना निवेश केंद्र सरकार करने वाली है उसका बड़ा हिस्सा भी प्रदेश को मिलेगा. खासतौर पर रेलवे रोड ट्रांसपोर्टेशन के मामले में मध्य प्रदेश को लाभ होगा.इसके अलावा सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट, टूरिज्म सेक्टर में किए गए प्रावधानों का भी लाभ मध्यप्रदेश को मिलने वाला है. किसानों के लिए भी जो घोषणा की गई है उसका लाभ मध्यप्रदेश को मिलेगा. इसके अलावा सिंहस्थ के लिए केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 10,500 करोड रुपए देगी.केंद्र सरकार की लॉजिस्टिक्स हब बनाने की जो योजना है उसका लाभ पीथमपुर का मिलेगा. केंद्र सरकार ने लघु सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों के लिए अनेक बड़ी घोषणाएं की हैं.इनका भी लाभ मध्य प्रदेश को मिलेगा. इसके अलावा देश में 12 औद्योगिक हब बनने वाले हैं.इनमें से कम से कम दो हब मध्य प्रदेश को मिलेंगे. यानी मोदी सरकार के बजट में मध्य प्रदेश की उपेक्षा तो नहीं हुई है लेकिन सभी अपेक्षाएं भी पूरी नहीं हुई हैं. खास तौर पर रेलवे के मामले में मध्य प्रदेश को और अधिक बजट आवंटित किया जाना था. खास तौर पर इंदौर मनमाड़ रेलवे लाइन को लेकर बजट आवंटन की अपेक्षा थी. यह रेलवे लाइन आदिवासी अंचल से होकर गुजरना है. इसलिए इस रेलवे लाइन को लेकर बजट में प्रावधान होने चाहिए थे जो नहीं हैं. इसके अलावा इको पर्यटन के मामले में मध्य प्रदेश देश का अग्रणी राज्य बन सकता है. इको टूरिज्म के बारे में बजट में स्पष्ट प्रावधान होने चाहिए थे. इसके अलावा बुंदेलखंड की सिंचाई परियोजना को लेकर पिछले बजट में 2000 करोड रुपए के राशि आवंटित की गई थी. इस बार बुंदेलखंड की अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना का उल्लेख बजट में नहीं है. इसी तरह टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग की भी कई समस्याएं हैं जिन्हें बजट के जरिए हल किया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हो सका है. इसके बावजूद मध्य प्रदेश में सडक़ परियोजनाओं के मामले में काफी धनराशि आवंटित की गई है.इसलिए यह नहीं कहा जा सकता की मध्य प्रदेश को बजट में कुछ नहीं मिला है. लेकिन हां यह जरूर कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश को इससे ज्यादा की अपेक्षा थी.

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