जबलपुर: भंवरताल गार्डन से लगकर कल्चरल स्ट्रीट का निर्माण किया गया था। इस स्ट्रीट को जब तैयार किया गया तो लगा कि जो हिस्सा कल्चरल गतिविधियों के लिए आरक्षित किया गया है, उसके सामने वाली सडक़ के दिन भी फिरेंगे लेकिन इस स्ट्रीट के साथ उल्टा हो रहा है। सबसे पहले तो भंवरताल छोर पर इस स्ट्रीट को वाहनों के बीच में से ढूंढना पड़ता है। आलम यह है कि इस स्ट्रीट के दोनों छोर एवं पैदल मार्ग पर निजी कंपनियों के वाहनों और तरह-तरह की दुकानें सजाई जा रही है। इतना ही नहीं इस स्ट्रीट में वाहनों की एंट्री को रोकने के लिए लगाए गए बेरियर भी लोगों द्वारा उठा दिए गए हैं। जिससे अब यह कल्चरल स्ट्रीट कम और सामान्य मार्ग ज्यादा बनती जा रही है।
लाईटें बंद, रहता है अंधेरा
नगर निगम द्वारा इस कल्चरल स्ट्रीट पर ध्यान न देने का नतीजा यह हो रहा है कि इस स्ट्रीट पर लगी स्ट्रीट लाइटें बंद है और इस मार्ग पर अंधेरा पसरा रहता है। परिणाम स्वरूप इस स्ट्रीट पर वॉकिंग करने वाले बुजुर्ग और महिलाएं काम और सामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता है। इतना ही नहीं कल्चरल गतिविधियों के लिए इस स्ट्रीट पर सडक़ से पहुँचना आसान होता लेकिन अफसोस नगर निगम के अधिकारियों ने कल्चरल स्ट्रीट के सामने वाली सडक़ की ओर भी ध्यान ही नहीं दिया। इस सडक़ पर फैली गिट्टियाँ लोगों के वाहनों के टायरों को पंक्चर कर रही हैं। भंवरताल में आने वाले लोग कहते हैं कि कल्चरल स्ट्रीट के सामने वाले हिस्से को नगर निगम ने हाशिए पर रख छोड़ा है, न तो इस ओर कभी सुधार पर ध्यान दिया जाता है और न ही तरीके से मरम्मत करने की सुध ली जाती है।
इनका कहना है
सारी जानकारी पता करके ही आप को बता पाऊँगा। जल्द ही व्यवस्था ठीक होंगी ।
रवि राव, अधिकारी, नगर निगम