सोयाबीन के भाव 8000 को लेकर किसान हुए लामबंद

तेल महंगा, सोयाबीन सस्ता, किसान-उपभोक्ता दोनों की हो रही है लूट
स्थिति नहीं सुधरी तो सोया प्रदेश का तमगा छिन जाएगा मध्य प्रदेश से

इंदौर: सोयाबीन के गिरते भाव से किसानों का सोयाबीन के प्रति मोह खत्म होता जा रहा है और आशंका है कि मध्य प्रदेश से सोया प्रदेश का तमगा भी छिन जाएगा, क्योंकि समर्थन मूल्य से भी नीचे बिकने के कारण अब किसान सोयाबीन के बजाय दूसरी फसल की ओर बढ़ने को मजबूर है. भाजपा के घोषणा पत्र में स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार किसानों को उनकी उपज का मूल्य सी प्लस टू +50 के अनुसार दिए जाने और किसान की आय दुगनी करने का वादा भी अब मध्य प्रदेश के किसानों को छलावा लग रहा है.

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रामस्वरूप मंत्री, बबलू जाधव, चंदन सिंह बड़वाया, शैलेंद्र पटेल आदि ने बताया कि सरकार की गलत नीति के कारण सोयाबीन के भाव नहीं मिल रहे हैं. प्रदेश में सोयाबीन फसल की कीमत अपने पिछले 10 साल के न्यूनतम स्तर पर बिक रही है. वर्तमान में सोयाबीन की जो कीमत है वही कीमत 10 साल पूर्व भी थी. इसे लेकर किसानों में भारी असंतोष है. संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े अखिल भारतीय किसान सभा, किसान संघर्ष समिति, अखिल भारतीय किसान मजदूर संगठन, भारतीय किसान मजदूर सेना आदिवासी विकास परिषद, जागरूक किसान संघ सहित 20 से ज्यादा किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक राज्य है. इस साल एमपी में भी सोयाबीन किसानों को उपज का उचित मूल्य न मिलने से सरकार के प्रति असंतोष बढ़ गया है. राज्य में सोयाबीन की थोक कीमत पिछले एक दशक में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. एक और जहां सोयाबीन के तेल का भाव आसमान पर है वहीं सोयाबीन के भाव का जब 6000 रुपए से ऊपर सोयाबीन बिक रहा था तब सोयाबीन तेल 100 रुपए किलो था और आज सोयाबीन 3500 रुपए कुंतल है तब तेल 100 रुपए किलो इस तरह से बिचौलियों की वजह से और सरकार की गलत नीतियों के चलते किसानों को उपभोक्ता दोनों के साथ ठगी हो रही है.

एमएसपी से दो हजार कम कीमत पर खरीद
मालवा निमाड़ के विभिन्न किसान संगठनों से जुड़े किसान नेताओं सर्व श्री वीरेंद्र पाटीदार जीवन पटेल धार,वासुदेव पाटीदार अरविंद पाटीदार रतलाम, मंदसौर, ईश्वर पाटीदार नीमच, उज्जैन अशोक जाट मुकेश मालवीय दिनेश चौहान बड़वानी, रितेश गुर्जर खरगोन, कल सिंह भामर झाबुआ, लीलाधार चौधरी दवास ,कमलेश परमार उज्जैन, बबलू जाधव सांवेर, चंदनसिंह बड़वाया देपालपुर, शैलेंद्र पटेल ने नैनोद भागवत परिहार मुलताई, रामस्वरूप मंत्री इंदौर, दिनेश कुशवाहा महू, सोनू शर्मा इंदौर, प्रमोद नामदेव इंदौर, मदन अग्रवाल गरोठ, राजेश बैरागी झबुआ, रमेश डामोर थांदला, राजेंद्र यादव खलघाट ने कहा कि किसानों की नाराजगी इस बात से समझी जा सकती है कि वे 12 साल पहले जिस कीमत पर सोयाबीन बेचा करते थे, इस साल भी उसी दाम पर अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं. सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. लेकिन इस साल महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खरीद एमएसपी से लगभग 2000 रुपये कम कीमत पर की जा रही है. नर्मदापुरम से लेकर मालवा तक सोयाबीन की कीमत 3500 से 4000 रुपये प्रति कुंटल के बीच स्थिर है. इस साल की उपज 15 सितंबर से बाजार में आएगी. इससे बाजार की स्थिति और बिगड़ेगी.

मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे
नेताओं का कहना है कि सोयाबीन के दाम गिरने का मुख्य कारण केंद्र सरकार की गलत नीतियां हैं. लेटिन अमेरिकी देशों में सोयाबीन की अच्छी उपज के बाद भारत में आयात शुल्क में कटौती की गई है. इससे घरेलू व्यापारियों ने कम कीमत पर सोयाबीन का तेल आयात किया जिससे सोयाबीन की मांग और कीमतें गिर गईं. संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से मांग की है कि सोयाबीन के 8000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भाव देने की व्यवस्था की जाए. यदि सरकार इस पर विचार नहीं करती, तो मोर्चा 1 से 7 सितंबर तक हर गांव में किसान पंचायत सचिव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेगा.

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