नयी दिल्ली, 28 अगस्त (वार्ता) केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधा परिसरों में नियमित सुरक्षा कर्मियों की गश्त शुरु करने और प्रमुख स्थानों पर भारतीय न्याय संहिता में चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा से संबंधित प्रावधान प्रदर्शित करने के निर्देश दिये हैं।
केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने बुधवार को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ एक ऑनलाइन बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सभी राज्यों को सभी अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधा परिसरों में सुरक्षा व्यवस्था की तुरंत समीक्षा करनी चाहिए और इसे मजबूत करने के कदम उठाने चाहिए। बैठक की अध्यक्षता गृह सचिव और स्वास्थ्य सचिव ने संयुक्त रुप से की।
बैठक में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक अतुल गोयल तथा संबंधित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। यह बैठक कल हुई राष्ट्रीय कार्यबल की बैठक के बाद बुलायी गयी है। बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए उठायें गये कदमों की जानकारी दी। बैठक में बताया गया है कि 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा के लिए कानूनी व्यवस्था है। अन्य राज्यों से चिकित्सा समुदाय के लिए कानून बनाने का अनुरोध किया गया।
बैठक में कहा गया कि परिसरों को सुरक्षित बनाने और चिकित्सा कर्मियों को अनुकूल परिवेश उपलब्ध कराने के लिए सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी चाहिए। स्वास्थ्य सुविधा परिसरों में चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा से संबंधित दिशा निर्देश और भारतीय न्याय संहिता के संबंधित प्रावधानों को प्रदर्शित करना चाहिए। इन प्रावधानों में उल्लंघन पर दंड और जुर्माने का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। ये निर्देश अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में लिखे जाने चाहिए।
सभी अस्पतालों और मेडिकल काॅलेज में मुख्य सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले अनुबंधित तथा अंशकालिक कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन किया जाना चाहिए। जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को सरकारी जिला अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में सुरक्षा व्यवस्था का आकलन करना चाहिए। बैठक में कहा गया कि सुरक्षा कर्मियों का प्रशिक्षण लगातार जारी रहना चाहिए। राेगी को अस्पताल के विभिन्न हिस्साें में ले जाने के लिए सहायकों की संख्या बढाई जानी चाहिए। अस्पतालों में “अस्पताल सुरक्षा समिति और हिंसा निरोधक समिति” का गठन किया जाना चाहिए और इसमें वरिष्ठ चिकित्सकों और प्रशासनिक अधिकारियों को शामिल किया जाना चाहिए। यह समिति अस्पताल में सुरक्षा नीति बनाने और सुरक्षात्मक उपाय लागू करने के लिए जिम्मेदार होगी।
अस्पताल के प्रमुख क्षेत्रों में आम जनता और रोगी के रिश्तेदारों के प्रवेश के लिए नियम बनायें जाने चाहिए और प्रवेश के लिए प्रवेश पत्र व्यवस्था लागू करनी चाहिए।
रात्रि पाली में काम करने वाले चिकित्सकों और नर्स तथा अन्य कर्मियों के लिए अस्पताल के विभिन्न विभागों में आवागमन को सुरक्षित बनाया जाना चाहिए और छात्रावास के रास्तों तथा अन्य क्षेत्राें में प्रकाश की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। रात्रि में अस्पताल के सभी भागों में नियमित गश्त की व्यवस्था की जानी चाहिए।
अस्पतालों में 24 घंटे के लिए सुरक्षा नियंत्रण कक्ष बनाया जाना चाहिए और निकटतम थाना से संपर्क रखा जाना चाहिए। अस्पताल में यौन प्रताडना पर आंतरिक समिति का गठन किया जाना चाहिए। अस्पताल में सीसीटीवी की व्यवस्था की जानी चाहिए और उनके कामकाज की नियमित समीक्षा की जानी चाहिए।