नयी दिल्ली, 21 अगस्त (वार्ता) दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बुधवार को तुगलकाबाद-एयरोसिटी गलियारे (कॉरिडोर) के गोल्डन लाइन पर छतरपुर और छतरपुर मंदिर स्टेशन के बीच बने सुरंग का उद्धाटन किया।
इस मौक पर श्री सक्सेना ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम को बधाई देते हुए कहा, “मैं इस सफलता के लिए डीएमआरसी और उसकी पूरी टीम को बधाई देना चाहता हूं। आज डीएमआरसी ने छतरपुर और छतरपुर मंदिर के बीच 865 मीटर लंबे रूट का काम पूरा किया है। उन्होंने करीब पांच महीने में इस चैनल को बनाया है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।”
उन्होंने कहा कि इस तरह के समारोह लोगों को दिखाए जाने चाहिए, क्योंकि इससे लोगों को पता चलता है कि किसी चीज को बनाने में कितनी मेहनत लगी है। उन्होंने कहा, “अगर मैं कहूं कि मौजूदा समय में दिल्ली मेट्रो दिल्ली की जीवनरेखा बन गई है, तो गलत नहीं होगा। हम दिल्ली के अंदर डीएमआरसी के नेटवर्क का जितना संभव हो सके उतना विस्तार करने की कोशिश करेंगे।”
दिल्ली मेट्रो ने चौथे चरण में तुगलकाबाद- एरोसिटी गलियारे पर गोल्डन लाइन के निर्माण का काम जोरशोर से चल रहा है। इस गलिया में छतरपुर और छतरपुर मंदिर स्टेशन के बीच सुरक्ष के निर्माण के लिए 97 मीटर लंबी टनल बोरिंग मशीन (टीएमबी) का इस्तेमाल किया गया।
गौरतलब है कि इस लाइन पर आवाजाही के लिए दो सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें से एक काम पूरा हो गया है और दूसरे के निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है।
डीएमआर से अनुसार इस सुरंग का निर्माण लगभग 15 मीटर की गहराई में किया गया है। सुरंग में लगभग 618 रिंग लगाए गए हैं और इसका व्यास 5.8 मीटर है। डीएमआरसी ने बताया कि सुरंग के निर्माण कार्य में 66 केवी विद्युत एचटी लाइन को स्थानांतरित करने जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, येलो लाइन पर मेट्रो ट्रेन संचालन को बिना बाधित किए मौजूदा येलो लाइन वायाडक्ट के नीचे टीबीएम को पार किया गया।
डीएमआरसी के अनुसार इस सुरंग का निर्माण ईपीबीएम (पृथ्वी दबाव संतुलन प्रणाली) की प्रौद्योगिकी के साथ किया गया है। मुंडका में पूरी तरह से मैवेनाइज्ड कास्टिंग यार्ड में सुरंग के रिंग बनाये गये। इन कंक्रीट खंडों को मजबूती प्राप्त करने के लिए भाप शोधन प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है।
डीएमआरसी ने बताया कि अब तक मेट्रो के चौथे चरण के तहत 40.109 किलोमीटर भूमिगत लाइनों का निर्माण किया जाएगा। इस गलियारे में 19.343 किलोमीटर के भूमिगत खंड होंगे।
उल्लेखनीय है कि टीबीएमएस विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में भूमिगत सुरंग निर्माण कार्य के लिए उपयोगी है। डीएमआरसी पहले चरण से ही अपने सुरंग कार्य के लिए टीबीएमएस का उपयोग कर रहा है। तीसरे चरण में जब लगभग 50 किलोमीटर भूमिगत खंड बनाए गए थे, तो लगभग 30 टीबीएमएस को खुदाई के काम में लगाया गया था।