परेशान क्यों है नंदा नगर विरोधी …?

सियासत

इंदौर जिले का प्रभार मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपने पास रखा है. मुख्यमंत्री द्वारा प्रभार संभालने से भाजपा कार्यकर्ता तो खुश हैं, लेकिन एक शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री खेमे के विरोधी भाजपा नेता अभी तक समझ नहीं पाए हैं कि इस स्थिति को अनुकूल माना जाए या नहीं! इसका कारण यह है कि विधानसभा चुनाव के बाद से जिस तरह से इंदौर जिले में मंत्री गुट ने अपना वर्चस्व साबित किया है उसके बाद की स्थिति विरोधियों के लिए और खराब हो गई है. डॉ मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने से नंदा नगर विरोधियों के लिए मामला और खराब हुआ. इसके अलावा शिवराज सिंह चौहान के दिल्ली में सक्रिय होने से और नरेंद्र सिंह तोमर के स्पीकर बनने के बाद भी नंदा नगर विरोधी भाजपा नेता पूरी तरह से बैक फुट पर हैं. इधर प्रभारी मंत्रियों को जिस तरह से अधिकार दिए गए हैं.

उससे भी इंदौर जिले की राजनीति में परिवर्तन होगा. दरअसल प्रदेश में पिछले डेढ़ साल तबादलों पर लगी रोक मोहन सरकार हटाने जा रही है. इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने तबादला नीति तैयार कर ली है और विभागीय मंत्री से इसका अनुमोदन भी हो गया है. अब जल्द ही कैबिनेट में प्रस्तुत की जाएगी. इसके अनुरूप ही मध्य प्रदेश में तबादले किए जाएंगे. इसके पहले राज्य सरकार ने मोहन कैबिनेट के मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंप दिया है और प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर ही तबादले किए जाएंगे. इसके लिए सरकार के प्राथमिकता वाले जिलों का प्रभार वरिष्ठ मंत्रियों को दिया गया है.

वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव और इसके बाद लोकसभा चुनाव के चलते तबादले से रोक नहीं हटाई गई. तब से लेकर अब तक केवल मुख्यमंत्री समन्वय से ही तबादले हो रहे हैं. अब दोनों ही चुनाव संपन्न हो चुके हैं, ऐसे में सरकार कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए तबादले से रोक हटाने जा रही है और नई तबादला नीति के तहत तबादले किए जाएंगे. एक जिले से दूसरे जिले के अंदर तबादले के लिए प्रभारी मंत्री की अनुशंसा अनिवार्य होगी. एक निश्चित अवधि में प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर तबादले होंगे, लेकिन किसी भी संवर्ग में 20 प्रतिशत से अधिक तबादले नहीं किए जा सकेंगे.

कुल मिलाकर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव अपनी व्यस्तता के चलते प्रभारी मंत्री के रूप में शायद उतना समय इंदौर को ना दे सकें जितना कि देना चाहिए. साफ है कि जिला प्रशासन ऐसे में मंत्री गुट के इशारे पर चलेगा. नंदा नगर विरोधियों की चिंता यह भी है कि आने वाले दिनों में इंदौर विकास प्राधिकरण सहित निगम मंडलों का भी गठन होना है. इसके अलावा संगठन चुनाव का भी बिगुल बज गया है. 1 सितंबर से संगठन चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ होगी.जाहिर है नंदा नगर विरोधी भाजपा नेताओं को फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. हालांकि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पदभार ग्रहण करने के बाद से ही लगातार सभी भाजपा नेताओं को साथ में लेकर चलने की कोशिश कर रहे हैं. इसके बावजूद नंदा नगर विरोधी नेताओं को नए निजाम में फिलहाल परेशानी महसूस हो रही है

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