० मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की प्रतिमा के समक्ष हुआ दीप प्रज्जवलन
नवभारत न्यूज
सीधी 14 अगस्त। विश्व हिन्दू परिषद बजरंग दल ने अखण्ड भारत संकल्प दिवस मनाया। जहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम आयोजित किया।
कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष गणेश सिंह ने कहा अखण्ड भारत के संकल्प को कैसे त्याग सकते हैं किन्तु लक्ष्य के शिखर पर पहुंचने के लिये यथार्थ की कंकरीली-पथरीली, कहीं कांटे तो कहीं दलदल, कहीं गहरी खाई तो कहीं रपटीली चढ़ाई से होकर गुजरना ही होगा। 15 अगस्त को हमें आजादी मिली और वर्षों की परतंत्रता की रात समाप्त हो गयी। किन्तु स्वातंत्र्य के आनंद के साथ-साथ मातृभूमि के विभाजन का गहरा घाव भी सहन करना पड़ा। 1947 का विभाजन पहला और अंतिम विभाजन नहीं है। भारत की सीमाओं का संकुचन उसके काफी पहले शुरू हो चुका था। सातवीं से नवीं शताब्दी तक लगभग ढाई सौ साल तक अकेले संघर्ष करके हिन्दू अफगानिस्तान इस्लाम के पेट में समा गया। हिमालय की गोद में बसे नेपाल, भूटान आदि जनपद अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण मुस्लिम विजय से बच गये। अपनी सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा के लिये उन्होंने राजनीतिक स्वतंत्रता का मार्ग अपनाया पर अब वह राजनीतिक स्वतंत्रता संस्कृति पर हावी हो गयी है। श्रीलंका पर पहले पुर्तगाल फिर हॉलैंड और अंत में अंग्रेजों ने राज्य किया और उसे भारत से पूरी तरह अलग कर दिया। किन्तु मुख्य प्रश्न तो भारत के सामने है तेरह सौ वर्ष से भारत की धरती पर जो वैचारिक संघर्ष चल रहा था उसी की परिणति 1947 के विभाजन में हुई। विभाजन के पश्चात् खंडित भारत की अपनी स्थिति क्या है? ब्रिटिश संसदीय प्रणाली के अंधानुकरण ने हिन्दू समाज को जाति, क्षेत्र और दल के आधार पर जड़मूल तक विभाजित कर दिया है। पूरा समाज भ्रष्टाचार की दलदल में आकंठ फस गया है। हिन्दू समाज की बात करना साम्प्रदायिकता है और मुस्लिम कट्टरवाद व पृथकतावाद की हिमायत करना सेकुलरिज्म। सैन्य सामथ्र्य भारत के पास है लेकिन क्या पाकिस्तान पर जीत से अखंड भारत बन सकता है। जब लोगों में मनोमिलन होता है तभी राष्ट्र बनता है। अखंडता का मार्ग सांस्कृतिक है न की सैन्य कार्रवाई या आक्रमण, देश का नेतृत्व करने वाले नेताओं के मन में इस संदर्भ में सुस्पष्ट धारणा आवश्यक है।
विभाग संयोजक शैलेन्द्र सिंह ने कहा भारत की अखंडता का आधार भूगोल से ज्यादा संस्कृति और इतिहास में है। खंडित भारत में एक सशक्त, एक्यब, तेजोमयी राष्ट्रजीवन खड़ा करके ही अखंड भारत के लक्ष्य की ओर बढऩा है। जिला मंत्री अनिल कुमार मिश्र ने कहा कि जहां प्रात: उठकर समुद्रवसने देवी पर्वतस्तन मंडले, विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यम् पादस्पर्शं क्षमस्वमेण् कहकर उसकी रज को माथे से लगाता हो, वन्देमातरम जिनका राष्ट्रघोष और राष्ट्रगान हो, ऐसे असंख्य अंत:करण मातृभूमि के विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकते हैं। उक्त जानकारी गगन अवधिया प्रचार प्रसार प्रमुख द्वारा दी गई।
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कार्यक्रम में इनकी रही खास उपस्थिति
कार्यक्रम में राजकुमार पाण्डेय जिला सह कोषाध्यक्ष, अभिषेक सिंह जिला संयोजक, विवेक चौरसिया जिला सह मंत्री, अजीत सिंह विशेष सम्पर्क प्रमुख, योग्यसेन गुप्त मंदिर अर्चक पुरोहित, अशोक गुप्ता सुरक्षा प्रमुख, भास्कर सिंह नगर अध्यक्ष, राम सिंह नगर उपाध्यक्ष, मुकेश नामदेव नगर मंत्री, शेखर भारती नगर संयोजक, राकेश कुशवाहा नगर विद्यार्थी प्रमुख, अमन श्रीवस्तव नगर मिलन प्रमुख, शुभम श्रीवास्तव, विनायक गुप्ता, दिनेश गुप्ता उपस्थित रहे।
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