राष्ट्र निर्माण में सामूहिक योगदान देना होगा: कोविंद

नयी दिल्ली, 03 जुलाई (वार्ता) पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि देश अमृत काल के प्रारम्भ से गुजर रहा है और भारत को एक बार फिर विश्व गुरु बनाने के लिए सभी को राष्ट्र निर्माण में सामूहिक रूप से योगदान देना होगा।

श्री कोविंद ने यहां सेठ आनंदराम जैपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस द्वारा विश्व गुरु के रूप में भारत का उदय नया युग, नयी उचाइयां विषय पर आयोजित पांचवें डॉ. राजाराम जैपुरिया मेमोरियल लेक्चर में भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और वैज्ञानिक विरासत को छूते हुए, भारत के गौरवशाली अतीत के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की विशाल क्षमता को भी रेखांकित किया।

उन्होंने कहा,“ भारत ने दुनिया को शून्य और दशमलव की अवधारणा दी है। प्राचीन काल के कई महान भारतीय विचारकों ने दुनिया भर में विज्ञान, गणित और आध्यात्मिकता में एक अमिट छाप छोड़ी है। अगर हम आज अपने देश को देखें तो हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम सर्वश्रेष्ठ में से एक है। हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गए हैं, मंगल ग्रह पर एक ऑर्बिटर भेजा है और मिशन आदित्य एल1 के माध्यम से सूर्य का अध्ययन कर रहे हैं। हमारे पास एक संपन्न डिजिटल अर्थव्यवस्था है।”

सेठ आनंदराम जैपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष शिशिर जैपुरिया ने स्वागत भाषण में कहा, “हमारा देश इस समय एक निर्णायक मोड़ पर है। हम अमृत काल में भारत को विकसित भारत बनाने के लिए सामाजिक-आर्थिक विकास और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति देख रहे हैं। देश के विकास को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय युवाओं को सशक्त बनाने में शिक्षा एक बड़ा उत्प्रेरक होगी। इसे उद्योग की तेजी से बदलती जरूरतों के साथ जोड़ना होगा। ध्यान मापने योग्य परिणामों के साथ परिणाम-आधारित शिक्षा पर होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों में लागू प्रासंगिक कौशल और ज्ञान प्राप्त करें। हमें अकादमिक अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति का निर्माण और रखरखाव करना होगा।”

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