नयी दिल्ली 01 अगस्त (वार्ता) सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की बहुराष्ट्रीय कंपनी इंफ़ोसिस ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भुगतान में चोरी से साफ इनकार किया और कहा कि कंपनी ने अपने सभी जीएसटी बकाए का भुगतान कर दिया है और इस मामले में केंद्र और राज्य के नियमों का पूरी तरह से अनुपालन कर रही है।
इंफ़ोसिस ने गुरुवार को शेयर बाजार को बताया कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जीएसटी भुगतान आईटी सेवाओं के निर्यात के विरुद्ध क्रेडिट या रिफंड के लिए है न कि इंफ़ोसिस के विदेशी शाखा कार्यालयों द्वारा किए गए खर्चों पर। कर्नाटक के जीएसटी अधिकारियों ने इंफ़ोसिस के विदेशी शाखा कार्यालयों द्वारा किए गए खर्चों के लिए जुलाई 2017 से मार्च 2022 की अवधि के लिए 32,403 करोड़ रुपये के जीएसटी के भुगतान के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
कंपनी ने सरकार द्वारा हाल ही में जारी एक परिपत्र का हवाला देते हुए कंपनी ने कहा, “इंफ़ोसिस का मानना है कि नियमों के अनुसार इन खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं होती है। इसके अलावा जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और सीमा शुल्क द्वारा जारी एक हालिया परिपत्र (परिपत्र संख्या 210/4/2024 दिनांक 26 जून, 2024) के अनुसार, भारतीय संस्थाओं को विदेशी शाखाओं द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं जीएसटी के अधीन नहीं हैं।”
इंफ़ोसिस ने कहा कि उसने कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया है। इस विषय पर समाचार पत्रों में लेखों के प्रकाशन के बाद इसे उसी मामले पर जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशक से कारण बताओ नोटिस भी मिला है और कंपनी इसका जवाब देने की प्रक्रिया में है।
जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशक (डीजीजीआई) की बैंगलोर इकाई की ओर से जारी नोटिस के अनुसार, इंफोसिस को रिजर्व चार्ज मैकेनिज्म के तहत जीएसटी का भुगतान करना है। इसके तहत सेवा प्राप्तकर्ता को लेवी का भुगतान करना होता है। अधिकांश आईटी कंपनियों ने विदेशों में शाखाएं स्थापित कर ली हैं, जहां कंपनी स्थानीय कानूनों के अनुसार परियोजनाएं चलाती है।