जैसी कि पटकथा लिखी जा रही थी, आखिरकार इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत चड्ढा और ग्रामीण जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव को पार्टी से निलंबित कर दिया गया. इसका मतलब यह है कि इनके दोनों पद भी खाली हो गए हैं. यह अभूतपूर्व स्थिति है. कांग्रेस के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी पदाधिकारी को इसलिए अनुशासनहीन माना गया कि उसने विपक्षी दल के नेता का स्वागत क्यों किया. बहरहाल, शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत सिंह को प्रदेश कांग्रेस द्वारा निलंबन का शो कॉज नोटिस मिलने के बाद इंदौर की राजनीति में हलचल मच गई है. भाजपा को कांग्रेस पर आरोप लगाने का मौका मिल गया है. बीजेपी ने कांग्रेस पर सिख समाज के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है. भाजयुमो के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष सुमित मिश्रा ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस सिख समाज के खिलाफ लगातार साजिश करती रही है और इस बार सुरजीत सिंह चड्ढा के बहाने सिख समाज को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि जीतू पटवारी और प्रदेश कांग्रेस के अन्य पदाधिकारी राऊ क्षेत्र में सिख समाज के वोट न मिलने की नाराजगी को सुरजीत सिंह पर निकाल रहे हैं. भाजपा का कहना है कि कांग्रेस राजनीतिक विचारधारा के विरोध को शत्रुता के स्तर पर ले जा रही है. वैसे ग्रामीण जिला अध्यक्ष इस कार्रवाई की जद में जबरदस्ती आ गए हैं. वह तो सुरजीत सिंह चड्ढा के कहने पर गांधी भवन आए थे. जो भी हो इस घटनाक्रम से कांग्रेस का कोई भला नहीं होने वाला है. इस निलंबन नोटिस के कारण कांग्रेस के आपसी झगड़े और बढ़ेंगे तथा गुटीय विभाजन भी बढ़ेगा.
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