शहर में शराब सप्लाय की लाइन बंद,गाँवों में अभी जारी?

आबकारी विभाग की बड़ी छापामार कार्रवाई में माल पकड़ा,एक सप्ताह तक चलेगा अभियान

 

नवभारत न्यूज

खंडवा। शनिवार अलसुबह से लगातार बरसते पानी में आबकारी विभाग सबसे ज्यादा सक्रिय दिखा। शराब की दुकानें व ढाबे जिनमें लाइन से शराब सप्लाई होती है। उन्हें टारगेट बनाया गया। हालांकि यह अवैध है,लेकिन इस तरह के कथित सिस्टम के खिलाफ छापेमारी होने की खबर है। शहर के सिनेमा चौक व अन्य आधा दर्जन से ज्यादा इलाकों में छापेमारी की गई। कई जगह शराब भी मिली है।

बताते हैं कि ग्वालियर कार्यालय से इस तरह के आदेश आए हैं। इसके पीछे बड़े ग्रुप में टसल के कारण रेट में अंतर आया। सस्ते में माल उठाने वालों के कारण बड़े ग्रुप के मुनाफे में कटौती हो गई। विभाग ने खंडवा जिले के शहरी लाइन वालों पर शिकंजा कस दिया। खबर है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लाइन चल रही है। शहर वालों पर शिकं जा कस दिया है।

एडीओ बोले,

लाइन अनलीगल

इस मसले पर जिला आबकारी अधिकारी से भर बरसात में छापेमारी व किन जगहों पर छापे मारे और उनमें क्या मिला? इसकी जानकारी के लिए फोन लगाया, उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। एडीओ संतोष कुशवाह ने बताया कि उच्च अधिकारियों के निर्देश पर जिलेभर में यह कार्रवाई की जा रही है। लाइन जैसी प्रथा अनलीगल है। इसे कुचलने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।

एक हफ्ते

चलेगा अभियान

श्री कुशवाह ने बताया कि लंबे समय से जानकारी मिल रही थी कि शहर में कुछ दुकानों, अड्डे. ढाबों और घरों तक से कच्ची व पक्की शराब की बिकवाली हो रही है। बरसात के बावजूद जिले की पूरी टीम ने सुबह से छापेमारी की है। इसमें कुछ स्थानों से माल भी बरामद किया है। किसी भी तरीके से अवैध तरीके से बिकने वाली शराब को बंद किये जाने के लिए यह अभियान है। शहर के अलावा जिलेभर में यह अभियान एक सप्ताह तक चलाया जाएगा।

क्या है लाईन व फेयर?

लीकर के बिजनेस में इन दो शब्दों पर ही पूरा गणित टिका हुआ है। जिले में शराब के ठेके बहुत महंगे में गए हैं। ठेकेदारों को माल खपाने के लिए बरसात में भी पसीना बहाना पड़ता है। फेयर का मतलब है कि जहां का ठेका लिया गया है। विधिपूर्वक दुकानों पर शराब भेजकर विक्रय की जाए।

इसके नाम से ही स्पष्ट है। लाईन इस धंधे में थोड़ा पेचीदा है। इसमें शराब ठेकेदार ही सप्लाय करवाते हैं,लेकिन अवैध तरीके से बेचने वाले ढाबों व दुकानों पर माल भेजा जाता है।

 

 

अवैध बेचवाल मुनाफे में?

 

दुकान व ढाबे वाले भी ज्यादा मुनाफे के लिए कम कीमत में माल देने वाले ठेकेदारों से माल लेना पसंद करते हैं। इन्हें आबाकारी व पुलिस पकड़ती है, क्योंकि यह अनलीगल है। यह भी सही है कि महंगे ठेके काम्पटीशन के कारण ले तो लिए जाते हैं, लेकिन वे लाइन से इन पर खपत न करें, तो घाटे में जा सकते हैं? विभाग इसीलिए इन पर कम ध्यान देता है।

 

सक्रियता का गणित यह

 

आबकारी विभाग कम ही सक्रिय होता है। इस अभियान के पीछे भी गणित क्या है? बताते हैं कि दो ग्रुप के कारण लाइन के माध्यम से दुकानों-ढाबों व ठीयों पर लीगल ठेकेदार ही माल की सप्लाय करवाते हैं। यह है तो अवैध,लेकिन ठेकेदार ओरिजनल होते हैं। बताते हैं कि एक बड़े ठेकेदार के महंगे रेट होने के कारण वे माल अन्य से सस्ते में ले रहे हैं। ठेकेदार को बड़ा नुकसान हो रहा है। ऊपरी अफसरों को इसकी जानकारी देने के बाद आबकारी विभाग तेजी से सक्रिय हुआ है। सावन के महीने में यूं भी शराब की खपत कम हो जाती है।

 

लीकर किंग्स बनना आसान नहीं

 

खंडवा में इसलिए लीकर किंग्स में हडक़ंप मचा हुआ है कि लाइन शहर की बंद हो गई है। यह कार्रवाई एक सप्ताह तक भी विभाग ने चलाई तो इनकी आर्थिक कमर टूट सकती है। ठेकेदारों के ही समझौता करने की संभावना है। ठेकेदार मोटी रकम भरते हैं। इसे टुकड़ों में एकत्रित करना भी कठिन धंधा है। अधिकतर लोग इस बिजनेस को आसान समझते हैं। जोखिम भी अधिक रहती है।

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