मामला कृष्णबाग कॉलोनी के पीड़ित रहवासियों का
इंदौर. आज शहर के न्याय नगर के पास स्थित कृष्णबाग कॉलोनी पर गरीबों के मकान हटाने की कार्रवाई करने नगर निगम, प्रशासन और पुलिस का अमला पहुंचा था. करीब 77 मकान तोड़ने की कार्रवाई की जाना थी, लेकिन रहवासियों के विरोध के चलते अमले को लौटाना पड़ा. अभी रहवासियों को 6 अगस्त तक स्वयं हटने का समय देकर प्रशासन ने कारवाई रोक दी है. उक्त जमीन पर गरीबों की कृष्णबाग कॉलोनी बसी हुई है, जिसमें दो सौ छोटे-छोटे प्लॉट है.
दरअसल उक्त जमीन का मालिकाना हक स्पष्ट नहीं होने के बावजूद कोर्ट के आदेश पर प्रशासन को कार्रवाई करने जाना पड़ा. जमीन को लेकर श्रीराम बिल्डर्स के खंडेलवाल ने हाई कोर्ट से प्रकरण जीता है. ऐसा बताया जाता है कि उक्त जमीन न्याय नगर का हिस्सा है, मगर करीब पौने दो एकड़ पर रहवासियों के अनुसार सुरेश सिलावट, राजेश राठौर और अन्य चार ने मिलकर गरीबों को गलत तरीके से प्लॉट बेचे है. गरीबों ने पैसा देकर जमीन खरीदी और जमीन का मालिक कोई और निकला. कुल मिलाकर अवैध कृष्णबाग कॉलोनी पर बसे रहवासियों का कोई दोष नहीं, लेकिन कार्रवाई उनके खिलाफ हो रही है. गलत प्लॉट बेचने वाले सिलावट, राठौर और उनके साथी पैसा लेकर मजे कर रहे है. खंडेलवाल कोर्ट से जमीन खाली कराने का आदेश लेकर कार्रवाई करवा रहे है. खंडेलवाल ने उनकी जमीन पर प्लॉट बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, ऐसा लगता है.
दो सौ प्लॉट पर गरीबों के मकान
कृष्णबाग कॉलोनी अवैध है, इसमें दो सौ प्लॉट है. गरीबों को बिना अनुमति के पैसे लेकर प्लॉट बेच दिए. प्लॉट की साइज 15 बाय 30, 20 बाय 20, 10 बाय 30 और 15 बाय 40 के प्लॉट है. उक्त प्लॉटों पर गरीबों ने अपने मकान बना रखे है.
62 मकान तोड़ने की कार्रवाई करना है प्रशासन को
कृष्णबाग कॉलोनी के 62 प्लॉट पर बने मकान तोड़ने के आदेश हाई कोर्ट की डबल बेंच ने दिए है, जिस पर प्रशासन आज कार्रवाई करने पहुंचा था. आज 12 मकान तोड़ दिए है और बाकी 6 अगस्त तक खाली करने का समय दिया है. आज 32 मकान तोड़े जाने थे, लेकिन एक महिला की तबियत खराब होने से कार्रवाई रोक दी गई और नगर निगम का रिमूवल दस्ता लौट गया.
कोर्ट के आदेश पर पहुंचा प्रशासन
कृष्णबाग करीब 0.72 हेक्टेयर यानी पौने दो एकड़ पर कटी गई अवैध कॉलोनी है. उक्त जमीन पर सुरेश सिलावट, राजेश राठौर और चार अन्य लोगो ने मिलकर प्लॉट बेचे है. उक्त जमीन पर श्रीराम बिल्डर्स के शशि भूषण खंडेलवाल अपना हक बता रहे है. मामला प्लॉट बेचने वाले सिलावट, राठौर और अन्य चार एवं श्री राम बिल्डर्स के खंडेलवाल के बीच का है. प्लॉट खरीद कर मकान बनाने वाले गरीबों का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है. मतलब यह कि ज़मीन के मालिक की लड़ाई में एक पक्ष हाईकोर्ट से प्रशासन को निर्देश दिलवा दिया है कि जमीन पर स्थित कब्जों को तोड़े. इसमें प्रशासन ने अवमानना से बचने के लिए कार्रवाई की, क्योंकि कोर्ट के आदेश है. मगर मौके पर जो रहवासी रह रहे है, उनका कोई दोष नहीं है. उन्होंने पैसे देकर जमीन खरीदी और उनके पास रजिस्ट्री है. मगर रहवासियों की कोई सुनने को तैयार नहीं हैं.
रहवासी कहते है कोई सुनवाई नहीं
कृष्णबाग कॉलोनी के रहवासियों के प्रतिनिधि पंकज तिवारी कहते है कि चुनाव के पहले अक्टूबर में नोटिस दिए थे. चुनाव निकल गया और बारिश में मकान तोड़ने आ गए. एक महिला की तबियत खराब हो गई और कार्रवाई रुक गई. कोर्ट में हमने भी लगा रखा है, लेकिन आज कोई हमारी सुनने को तैयार नहीं है. आज भी 6 अगस्त तक का समय दिया है.
क्या कहते है जिम्मेदार…
एसडीएम घनश्याम धनगर ने कहा कि प्रशासन को हाई कोर्ट डबल बेंच ने आदेश दिया है कि कार्रवाई करें. कोर्ट के आदेश पर हम मकान तोड़ने की कारवाही करने गए थे.
पार्षद पति महेश जोशी ने बताया कि हम रहवासियों का अहित नहीं होने देंगे. आज कार्रवाई महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कलेक्टर से बात करके रुकवाई है. रहवासियों ने पैसे देकर प्लॉट और जमीन खरीदी है और कई ने लोन ले रखें है. अगर मकान टूट जाएंगे, उनका क्या होगा? पर हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि उनके मकान नहीं टूटे.
इस बारे में श्री राम बिल्डर्स के खंडेलवाल से बात की तो उन्होंने कहा जमीन है, लेकिन मुझे जानकारी नहीं की क्या कार्रवाई हुई है.
रहवासियों ने कहा…
तीन माह से न्यायालय में मामला लंबित है तो वैध-अवैध तो कहा नहीं जा सकता. यहां भूमि हमारी है. अगर यह भूमि संस्था की नहीं होकर श्रीराम बिल्डर की है तो जब प्लाट बिक रहे थे, मकान बन रहे थे पिछले 15 वर्षों में उन्हें तब आकर खड़ा होना था. ये गरीब जनता प्लॉट लेती ही नहीं.
– गजानंद मदनकर
बीस वर्षो से रह रहे हैं. संपत्ति कर, जल कर, बिजली बिल भरते हैं. हमारी संपत्ति की रजिस्ट्री भी है. फिर भी बोल रहे है तोड़ेंगे. अब जनता क्या करेगी. छोटे-छोटे बच्चों के लेकर कहां जाएगी. आगे क्या करेंगे. इस कार्रवाई ने यहां के सभी लोगों को बर्बाद कर के रख दिया. सरकार को अब दिख रहा है पहले कहां थे.
– प्रीति कुशवाह
जैसे ही हमारा मकान तोड़ने आए तो हमने बहुत हाथ पैर जोड़े लेकिन हम जैसे गरीबों की कोई सुनने वाला नहीं था. मज़दूरी कर मेरे माता-पिता ने मकान बनाया था. मकान तोड़ने की ख़बर के सदमे से मेरी मम्मी ने फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. पड़ोसियों ने बचाया. अभी वहां गंभीर है.
– हिमांशु यादव
1995 में साढ़े तीन लाख में संस्था से प्लॉट लिया था. संस्था तर्फे धर्मराज नागर द्वारा रजिस्ट्री भी करवाई लेकिन आज तक प्लॉट नहीं दिया गया. यहां तक कि हमसे तार फेंसिंग के पैसे भी लिए. आज भी हम अपने प्लॉट को ढूंढ रहे हैं. हमेशा से ही हमें विवादित जगह बताई गई और आज तक संस्था या नगर निगम द्वारा नहीं दिया गया.
– भगवानदास साहू