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रीवा, 10 जुलाई, निराश्रित तथा असहाय गौवंश को आश्रय देने के लिए मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना के तहत गौशालाओं का निर्माण कराया गया है. ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा योजना से गौशाला का निर्माण किया गया है. इनका संचालन ग्राम पंचायतों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है. रीवा संभाग में 209 संचालित गौशालाओं में 31 हजार 780 गौवंश को आश्रय दिया गया है. प्रत्येक गौशाला में गौवंश के लिए चारा, भूसा, पानी, छाया तथा उपचार की व्यवस्था की गई है. इस संबंध में प्रभारी संयुक्त संचालक पशुपालन डॉ राजेश मिश्रा ने बताया कि संभाग में मनरेगा योजना से निर्मित 184 गौशालाओं में 16 हजार 710 गौवंश हैं. अशासकीय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित 25 गौशालाओं में 15 हजार 105 गौवंश को आश्रय दिया गया है. मनरेगा से जिन गौशालाओं का निर्माण कार्य पूरा हो गया है उनके संचालन के लिए ग्राम पंचायत से अनुबंध करके गौवंश रखने की व्यवस्था की जा रही है. ऐरा प्रथा से खेती को हानि होने के साथ पशुओं के दुर्घटना का कारण बनने की घटनाएं होती हैं. इसे रोकने के लिए पशुपालकों को भी पशुओं को घर पर रखने की समझाइश दी जा रही है.
संयुक्त संचालक ने बताया कि रीवा जिले में मनरेगा योजना से निर्मित 95 गौशाला में 8 हजार 145 तथा अशासकीय संस्थाओं द्वारा संचालित चार गौशलाओं में 6 हजार 733 गौवंश हैं. सतना जिले में मनरेगा से संचालित 56 गौशालाओं में 4 हजार 816 तथा अशासकीय संस्थाओं द्वारा संचालित 16 गौशालाओं में 7 हजार 819 गौवंश हैं. सीधी जिले में मनरेगा से संचालित 19 गौशालाओं में एक हजार 988 तथा अशासकीय संस्थाओं द्वारा संचालित तीन गौशालाओं में 310 गौवंश हैं. सिंगरौली जिले में मनरेगा से संचालित 14 गौशालाओं में 1761 एवं अशासकीय संस्थाओं द्वारा संचालित दो गौशालाओं में 243 गौवंश हैं.