नयी दिल्ली, (वार्ता) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) तथा राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) ने शुक्रवार को नयी दिल्ली में भारत में लॉजिस्टिक्स लागत के मूल्यांकन एवं रूपरेखा के विकास के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौता ज्ञापन पर एनसीएईआर के सचिव एवं परिचालन निदेशक डॉ. अनिल शर्मा तथा डीपीआईआईटी के संयुक्त सचिव डॉ. एस के अहिरवार ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर डीपीआईआईटी के सचिव राजेश कुमार सिंह भी उपस्थित थे।
एमओयू के प्रमुख उद्देश्य देश में लॉजिस्टिक्स लागत के आकलन के लिए एक विस्तृत रूपरेखा विकसित करना वर्ष 2023-24 के दौरान लॉजिस्टिक्स लागत के आकलन के लिए एक व्यापक अध्ययन करना। मार्ग, माध्यम, उत्पाद, कार्गो का प्रकार और सेवा संचालन आदि में लॉजिस्टिक्स लागत में अंतर का आकलन करना। विभिन्न क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स पर प्रभाव के साथ-साथ प्रमुख निर्धारकों की पहचान करना आदि है।
लॉजिस्टिक्स लागत के अस्पष्ट और अप्रत्यक्ष तत्वों, जिसमें देरी की लागत भी शामिल है, पर गौर करने के लिए भी सुझाव दिए गए। यह भी विचार पेश किया गया कि निवेशक के दृष्टिकोण से व्यवसाय स्थापित करने की सुविधा को भी लागत को प्रभावित करने वाले तत्व के रूप में माना जा सकता है।
इस समझौता ज्ञापन में एनसीएईआर द्वारा उपरोक्त विस्तृत अध्ययन करने और एक वर्ष के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की परिकल्पना की गई है। इस अध्ययन के परिणामस्वरूप भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना है।
सरकार ने 17 सितंबर 2022 को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) का शुभारंभ किया था। एनएलपी का एक प्राथमिक उद्देश्य जीडीपी में लॉजिस्टिक्स लागत के प्रतिशत को कम करना था। इसके अनुरूप, डीपीआईआईटी के लॉजिस्टिक्स प्रभाग ने पहले दिसंबर 2023 में भारत में लॉजिस्टिक्स लागत: मूल्यांकन और दीर्घकालिक रूपरेखा शीर्षक से एक रिपोर्ट लांच की थी। यह रिपोर्ट एनसीएईआर द्वारा तैयार की गई थी, जिसमें एक आधारभूत समेकित लॉजिस्टिक्स लागत अनुमान और दीर्घकालिक लॉजिस्टिक्स लागत गणना के लिए एक रूपरेखा तैयार की गई थी।