नये आपराधिक कानून जल्दबाजी नहीं, विस्तृत चर्चा के बाद बनाये गये हैं : शाह

नई दिल्ली, 01 जुलाई (वार्ता) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि तीनों नये आपराधिक कानून विस्तृत चर्चा के बाद लाये गये। उन्होंने विपक्ष के इस आरोप को खारिज किया कि ये कानून जल्दबाजी में पारित करा कर लागू किये गये हैं।
इन तीन नये आपराधिक कानून – भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 को सोमवार से लागू कर दिया गया है।
श्री शाह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रहा है, जबकि नये कानूनी प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा हुई थी।”
गृह मंत्री ने कहा कि वह यह ‘आन रिकार्ड’ कहना चाहते हैं कि इन तीनों नये आपराधिक कानूनों को कराने में जितनी चर्चा की गयी, उतनी चर्चा या मेहनत स्वतंत्र भारत में किसी विधेयक को पारित करने शायद ही की गयी हो।
उन्होंने कहा, “ लोकसभा में चर्चा के लिये नौ घंटे से अधिक समय दिया गया और इसमें 34 सदस्यों ने भाग लिया, जबकि राज्य सभा में छह घंटे से अधिक की चर्चा हुई और 40 सदस्यों ने भाग लिया। ”
उन्होंने विपक्ष के इस दावे को भी खारिज किया कि विपक्षी सदस्यों को निलंबित करने के बाद ये विधेयक लाये गये।
गृह मंत्री ने कहा, “ एक झूठी खबर भी फैलाई जा रही थी कि दोनों सदनों के विपक्षी सदस्यों को निलंबित करने के बाद ये विधेयक लाये गये थे। ”
उन्होंने कहा कि इन विधेयकों पर चर्चा का विषय कार्यमंत्रणा समिति के सामने पहले से ही थी लेकिन 14 दिसंबर से विपक्ष ने संसद का बहिष्कार करने का फैसला कर लिया था।
उन्होंने कहा कि दोनों सदनों में विपक्ष ने अपने कार्यों से आसन को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिये मजबूर किया।
गृह मंत्री ने कहा कि यह विधेयक विभिन्न हितधारकों के सुझावों के बाद लाया गया था। उन्होंने कहा, “2020 में, मैंने व्यक्तिगत रूप से सभी सांसदों को पत्र लिखकर सुझाव मांगे थे। इसके लिये मैंने उच्चतम न्यायालय तथा सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को भी पत्र लिखा था। साथ ही गृह सचिव ने भी भारतीय पुलिस सेवा ( आईपीएस) के सभी अधिकारियों, जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर सुझाव मांगे थे।
उन्होंने कहा, “ उसके बाद मैंने व्यक्तिगत रूप से उन सभी को कई बार पढ़ा और फिर यह विधेयक तैयार किया गया। ”
श्री शाह ने कहा कि कि संसद द्वारा विधेयक पारित करने से पहले इसे गृह मंत्रालय की समिति को भेजा गया था। विधेयक पर विस्तृत चर्चा हुई और सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों ने इसमें भाग लिया और अपने सुझाव दिये। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक सुझावों को छोड़कर, सभी सुझावों को 93 बदलावों के साथ शामिल किया गया और विधेयक को कैबिनेट द्वारा पारित किया गया और फिर संसद में पेश किया गया।
विपक्ष से इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करने का आग्रह करते हुये गृह मंत्री ने कहा,
“ राजनीति के लिये कई मुद्दे हैं और सरकार उनका जवाब देने के लिए तैयार है, लेकिन ये कानून देश के 140 करोड़ लोगों के लिये हैं और यह संविधान के अनुसार लोगों को कानून और सम्मान देने की कवायद है।”

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