अमरवाड़ा के लिए मालवा-निमाड़ के नेताओं को जिम्मेदारी

सियासत

मालवा और निमाड़ अंचल के भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव की जिम्मेदारी मिली है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी वहां तीन दिनों तक कैंप कर रहे हैं. कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में अरुण यादव का भी नाम है. अरुण यादव, सज्जन सिंह वर्मा, रवि जोशी, उमंग सिंघार जैसे नेता अमरवाड़ा जाने वाले हैं. भाजपा की ओर से भी नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, सांसद समर सिंह सोलंकी, कविता पाटीदार, अनीता चौहान, गजेंद्र सिंह पटेल केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर अमरवाड़ा जाएंगी. इस अंचल में कमलनाथ के अनेक समर्थक हैं जो अपने नेता के लिए उपचुनाव में जाएंगे.

इधर, भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को कांग्रेस से लाने में कैलाश विजयवर्गीय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसलिए कैलाश विजयवर्गीय के लिए भी कमलेश शाह का चुनाव महत्वपूर्ण है. दरअसल, अमरवाड़ा सीट कांग्रेस और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा बन गई है. यहां दोनों ही पार्टियां पूरी ताकत झोंक रही हैं. खासकर कांग्रेस इस सीट को किसी भी हालत में गंवाना नहीं चाहती है. कांग्रेस इस सीट पर फतह हासिल करने के लिए प्रदेश भर के 40 स्टार प्रचारक भेज रही है. सबसे पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी 30 जून तक अमरवाड़ा में हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष जनसंपर्क, जनसभाओं को संबोधित करेंगे. इसके बाद दो जुलाई से कमलनाथ मोर्चा संभालेंगे.
पटवारी अपने निर्धारित दौरा कार्यक्रमानुसार 30 जून तक अमरवाड़ा प्रवास पर रहेंगे. अमरवाड़ा कांग्रेस प्रत्याशी की नामांकन रैली में जीतू पटवारी समेत कई कांग्रेसी नेता पहुंचे थे. लेकिन कमलनाथ नदारद रहे. कमलनाथ के गायब होने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे. लेकिन अमरवाड़ा में कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए कमलनाथ ने कमर कस ली है. कमलनाथ दो जुलाई से अमरवाड़ा उपचुनाव की कमान संभालेंगे. वहीं, नकुलनाथ भी चुनावी मैदान में प्रचार करते दिखाई देंगे. कमलनाथ के गढ़ माने जाने वाला छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा सीट पर होने वाला उपचुनाव रोचक हो गया है. बीजेपी ने यहां से कांग्रेस विधायक रहे कमलेश शाह को मैदान में उतरा है तो वहीं कांग्रेस ने धीरन शाह को टिकट दिया है. जबकि भाजपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ने के लिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने देवरावेन भलावी को प्रत्याशी बनाया है. इसके बाद से माना जा रहा है कि अब यहां का मुकाबला त्रिकोणी हो गया है. चुनावी विशेषज्ञ किसी भी पार्टी को एक तरफा जीत नहीं दिला रहे हैं

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