सूचना मिलने पर बरौंधा थाना पुलिस भी मौके पर पहुंची। पंचनामा बना कर शव को फंदे से नीचे उतरवाया गया और पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे जाने की तैयारी शुरू कर दी गई लेकिन इसी बीच परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा। वे राम सजीवन की मौत को हत्या का मामला बताते हुए उसके सहयोगियों पर आरोप लगाने लगे और मृतक के पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति और आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग पर अड़ गए। पुलिस ने उन्हें निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया,वन विभाग के अफसरों से बात भी कराई।
बताया जाता है कि चौकीदार राम सजीवन रविवार को घर से फील्ड भ्रमण के लिए गया था। उसे उसके दो सहयोगियों रामविश्वास रवि और मंजू के साथ देखा गया था। शाम को भी वह लौट कर घर नहीं आया तो परिजनों ने इसकी सूचना बरौंधा थाना पुलिस को दी थी। हालांकि उसकी बाइक टूटी हुई हालत में उसके साथी घर पहुंचा गए थे लेकिन राम सजीवन के बारे में उन्होंने अज्ञानता जाहिर की थी। सोमवार की सुबह उसका शव जंगल मे फांसी के फंदे पर झूलता मिला।
मृतक के साले देशपाल यादव का आरोप है कि राम सजीवन की हत्या की गई है। उसका शव फांसी के फंदे पर लटकाया गया है। इस घटना में उसने राम विश्वास और मंजू की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। इस मामले में एसडीओपी चित्रकूट रोहित राठौर का कहना है कि हर पॉइंट को ध्यान में रख कर जांच की जा रही है।