देश की कुल संपत्ति का 88.4 फीसदी उच्च जातियों के पास, इसलिए भाजपा नहीं करना चाहती जातीय गणना: लालू

पटना (वार्ता) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने आज आरोप लगाते हुए कहा कि देश की कुल संपत्ति का 88.4 प्रतिशत उच्च जातियों के पास इसलिए केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार जातीय गणना नहीं कराना चाहती है क्योंकि ऐसा करने से हर क्षेत्र में कुंडली मारे बैठे संपन्न लोगों का प्रभुत्व उजागर हो जाएगा।

श्री यादव ने रविवार को माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘एक्स’ पर वर्ल्ड इनइक्वेलिटी लैब (विश्व असमानता लैब) की रिपोर्ट के हवाले से लिखे अपने पोस्ट में कहा, ‘रिसर्च में पिछड़ों-दलितों और आदिवासियों के लिए डरावने आंकड़े सामने आए है। यह रिसर्च देश में बढ़ती सामाजिक-आर्थिक गैरबराबरी को उजागर करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार उच्च जातियों के पास देश की कुल संपत्ति का 88.4 प्रतिशत हिस्सा है जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के पास केवल 9.0 प्रतिशत और अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के पास मात्र 2.6 प्रतिशत है।

राजद प्रमुख ने कहा कि वर्ष 2013 में ओबीसी का देश की संपत्ति में 17.3 प्रतिशत हिस्सा था जो वर्ष 2022 में घटकर नौ प्रतिशत ही रह गया है। छोटे और मध्यम आकार के व्यवसाय लगातार घटते जा रहे हैं। कृषि घाटे का सौदा होता जा रहा है। किसान सरकार की गलत नीतियों के चलते बर्बाद हो रहे है। उन्होंने कहा कि सर्वविदित है कि देश में ओबीसी, एससी और एसटी की आबादी लगभग 85 प्रतिशत है। यही कारण है कि भाजपा जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती क्योंकि इससे हर क्षेत्र में कुंडली मारे बैठे संपन्न लोगों का प्रभुत्व उजागर हो जाएगा।

श्री यादव ने कहा कि रिसर्च बताती है कि देश की कुल संपत्ति का बड़ा हिस्सा लगभग 89 प्रतिशत, आबादी में सबसे कम वाले वर्गों के पास है तथा देश की सबसे अधिक आबादी वाले 85 प्रतिशत ओबीसी, एससी एवं एसटी के पास बाक़ी बचा हिस्सा है। इससे पता चलता है कि हमारे देश में सामाजिक-आर्थिक असमानता की जड़ें कितनी गहरी हैं। उन्होंने आरोप लगाया की केंद्र की मोदी सरकार लगातार 10 बरसों से ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग के छोटे व्यवसायों को भी टारगेट कर खत्म कर रही है।

राजद सुप्रीमो ने कहा, ‘जब तक ओबीसी, एससी, एसटी और उच्च जाति के गरीब लोग भाजपा की भक्ति, धर्मांधता और नफ़रत बोने वाले दंगाइयों को अपना नेता मानेंगे, तो ये आंकड़े और भी बद्तर होते जाएंगे। विगत 10 वर्षों में इन्होंने आपको यानी ओबीसी, एससी और एसटी को धर्म और छद्म राष्ट्रवाद के बनावटी मुद्दों और बहसों में उलझा कर अपनी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सत्ता को ओर अधिक सुदृढ़ एवं सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि ये लोग धूर्तता के साथ ओबीसी, एससी और एसटी को सांकेतिक और दिखावटी प्रतिनिधित्व देकर इतिश्री कर देते है ताकि देश की ये बहुसंख्यक आबादी अपने अधिकारों की वाजिब मांग ना कर सके।

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