हाईकोर्ट के गंभीर अपराध मानते हुए जमानत याचिका की निरस्त
जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट ने शहर के बहुचर्चित निजी स्कूल फीस एवं बुक्स घोटाले में गिरफ्तार स्कूल शिक्षकों को फिलहाल राहत देने से इंकार कर दिया है। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने कहा है कि निजी पब्लिशर्स की किताबों में फर्जी आईएसबीएन और स्कूल प्रबंधकों द्वारा अभिभावकों से चीटिंग के तथ्य अपराध की श्रेणी में आते हैं, इसलिए राहत नहीं दी जा सकती। एकलपीठ ने कहा कि इस मामले की जांच अभी प्रारंभिक स्तर पर है, यदि अंतरिम राहत दी जाती है तो जांच प्रभावित होगी।
हाईकोर्ट में यह मामले क्राईस्ट चर्च के अजय उमेश कुमार जेम्स व अन्य की ओर से दायर किये गये थे। जिसमें कहा गया था कि जिला कलेक्टर की रिपोर्ट पर उनके खिलाफ अवैधानिक फीस वृद्धि और किताबों में फर्जी आईएसबीएन नंबर, विद्यार्थियों को विशेष पुस्तक़ विक्रेता से बुक्स खरीदने बाध्य करना आदि आरोपों को लेकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। उनकी गिरफ्तारी कर ली गई है। आवेदकों की ओर से कहा गया कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला नहीं बनता।
याचिका में राहत चाही गई कि उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाई जाए और स्कूल परिसर से पुलिस कर्मियों को हटाया जाए। वहीं शासन की ओर से दलील दी गई कि अभी विस्तृत जांच होना शेष है। कई दस्तावेज जब्त करना बाकी है। इस घोटाले से जनता का विश्वास टूटा है। पब्लिशर्स ने जानबूझकर फर्जी आईएसबीएन नंबर प्रिंट किया है। बच्चों को जानबूझकर विशेष विक्रेता से ही किताबें खरीदने बाध्य किया गया है, ताकि स्कूल को कमीशन मिल सके। यदि अंतरिम राहत दी गई तो साक्ष्य प्रभावित होंगे। सुनवाई के बाद न्यायालय ने शिक्षकों को राहत देने से इनकार कर दिया।