जबलपुर: मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी के निलंबित कर्मचारी ने एक ही मामले में विभागीय जांच तथा आपराधिक प्रकरण दर्ज किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि आपराधिक प्रकरण व विभागीय जांच दोनों एक साथ चल सकती हैं।
याचिकाकर्ता सतना निवासी आदित्य नारायण गर्ग की तरफ से दायर अपील में कहा गया था वह मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी में अधीक्षण यंत्री कार्यालय में क्लर्क के पद पर पदस्थ था। नागौद में लाइन मैन घनश्याम सेन के खिलाफ बलात्कार का प्रकरण दर्ज करवाने वाली एक महिला ने हाईकोर्ट में उसके निलंबन को निरस्त किये जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया था कि उसने अधीक्षण यंत्री के लेटर हेड का प्रयोग करते हुए उसने निलंबन आदेश को निरस्त करने के आदेश जारी किये थे।
हाईकोर्ट ने पाया था कि निलंबन आदेश निरस्त करने की मांग करते हुए घनश्याम सेन ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए अपीली अथॉरिटी को 60 दिनों में अभ्यावेदन का निराकरण करने आदेश जारी किये थे। अपीलीय अथॉरिटी के बजाय उसने निलंबन आदेश जारी करते हुए कार्यपालक अभियंता के कार्यालय में उक्त आदेश भेज दिया। हाईकोर्ट ने कार्यपालक अभियंता के खिलाफ विभागीय जांच तथा जांच के बाद प्रकरण दर्ज करवाने के आदेश जारी किये थे।
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया था कि घनश्याम सेन 30 मार्च 2024 को सेवानिवृत्त हो रहे थे। निलंबन आदेश समाप्त करने के लिए उसने अभ्यावेदन दिया था। जिस पर अधीक्षण यंत्री की सहमति से सिर्फ दो दिन का निबंलन निरस्त करने के आदेश जारी किये थे। याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि उसके खिलाफ विभागीय जांच लंबित है। इसके अलावा उसी प्रकरण में उसके खिलाफ आपराधिक प्रकरण भी दर्ज करवाया गया है। एक ही सजा के लिए उसे दोहरे दंड से दंडित किया जा रहा है। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि विभागीय जांच तथा आपराधिक प्रकरण एक साथ चल सकते हैं।