नई दिल्ली, 10 जून (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में अतिरिक्त पानी आपूर्ति का निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका की खामियां दूर करने की उसकी ओर से दी गई मोहलत की अनदेखी पर दिल्ली सरकार की खिंचाई की और याचिका खारिज करने की चेतावनी के साथ कहा कि वह अखबारों की खबरों के आधार पर आदेश पारित नहीं कर सकता।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति पी बी वराले की अवकाशकालीन पीठ ने याचिकाकर्ता दिल्ली सरकार को चेतावनी दी कि वह पिछली सुनवाई की तारीख पर आश्वासन के बावजूद खामियों को दूर करने में विफल रहने के आधार पर रिट याचिका को खारिज कर देगी।
पीठ के समक्ष दलील देते हुए हरियाणा सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि वह हलफनामा और स्थिति रिपोर्ट ई-फाइल नहीं कर सकती, क्योंकि दिल्ली सरकार की रिट याचिका में अभी भी खामियां हैं।
इस पर पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा, “आपने खामियों को दूर नहीं किया है। पिछली तारीख को इस ओर ध्यान दिलाया गया था। अदालती कार्यवाही को हल्के में न लें। हम इस आधार पर याचिका खारिज करेंगे, चाहे यह याचिका कितनी भी महत्वपूर्ण क्यों न हो। पीठ ने आगे कहा जब यह बयान दिया जाता है कि आप खामियों को दूर करेंगे और वह दूर नहीं होती, तो हम उसे खारिज कर देते हैं। आपने कहा था कि आप पानी की कमी से जूझ रहे हैं, आज ही अंतिम तिथि पर आदेश पारित करें।”
शीर्ष अदालत ने कहा कि हलफनामा और स्थिति रिपोर्ट को रिकॉर्ड में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि रिट याचिका में खामियों को दूर नहीं किया गया है।पीठ ने यह भी कहा, “अखबारों में बहुत-सी बातें छपी हैं। अगर हम फाइलें, जवाब और स्थिति रिपोर्ट नहीं पढ़ेंगे, तो हम अखबारों में छपी खबरों से प्रभावित होंगे। यह किसी भी पक्ष के हित में नहीं होगा।” पीठ ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई बुधवार को की जाएगी।
शीर्ष अदालत ने 6 जून को हिमाचल प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह मौजूदा गर्मी के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर पेयजल संकट के मद्देनजर अपने पास उपलब्ध 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी 07 जून को दिल्ली के लिए छोड़ दे।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने आदेश पारित करते हुए अपर यमुना रिवर वाटर बोर्ड को निर्देश दिया कि वह दिल्ली को पानी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हरियाणा के हथिनी कुंड में अतिरिक्त आपूर्ति को मापे। पीठ ने हरियाणा को नहरों के माध्यम से पानी का मार्ग देने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, “चूंकि हिमाचल प्रदेश दिल्ली को अतिरिक्त पानी की आपूर्ति करने के लिए तैयार और इच्छुक है, इसलिए हम उस राज्य को ऊपरी धारा से 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश देते हैं। जब भी हिमाचल प्रदेश द्वारा अतिरिक्त पानी छोड़ा जाएगा, हरियाणा के हथिनी कुंड के माध्यम से अतिरिक्त पानी के प्रवाह की सुविधा प्रदान किया जाएगा, ताकि इसे दिल्ली को पेयजल के लिए उपलब्ध कराया जा सके।”
पीठ ने यह भी कहा, “हम इस तथ्य से अवगत हैं कि गंभीर संकट को देखते हुए पानी की बर्बादी नहीं होनी चाहिए।”
उच्चतम न्यायालय ने तीन जून को अपर यमुना रिवर जल बोर्ड से कहा था कि दिल्लीवासियों के सामने आने वाले पानी संकट के मद्देनजर सभी संबंधित राज्यों की एक आपात बैठक पांच जून को आयोजित कर छह जून तक शीर्ष अदालत में पानी आपूर्ति से संबंधित स्थिति रिपोर्ट पेश करें।
शीर्ष अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए हिमाचल प्रदेश ने कहा था कि वह हरियाणा के माध्यम से दिल्ली में पानी लाने वाली नहरों के जरिए अपना अतिरिक्त उपलब्ध पानी दिल्ली को देने के लिए तैयार है।
दिल्ली सरकार ने भीषण गर्मी के कारण राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर पानी संकट के मद्देनजर हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश सरकारों को एक माह के लिए अतिरिक्त पानी आपूर्ति करने का निर्देश देने की गुहार लगाते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने अपनी याचिका में दिल्ली के लोगों को पानी की समस्या से जूझते देख शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि वह संबंधित राज्य सरकारों को कम से कम एक महीने के लिए अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने के लिए तत्काल उचित निर्देश या आदेश जारी करे।
‘आप’ सरकार ने अपनी याचिका में कहा, “ हर व्यक्ति को पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए, क्योंकि यह उसके बुनियादी मानवाधिकारों में से एक है। पानी न केवल जीवनयापन के लिए आवश्यक है, बल्कि उसे हासिल करना उनेके लिए संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा और जीवन की गुणवत्ता की सुनिश्चित करने का एक अनिवार्य घटक भी है।”
केजरीवाल सरकार ने अपनी याचिका में कहा, ‘वर्तमान जल संकट गर्मी चरम पर होने और पानी की कमी के कारण आने वाले समय में और भी बदतर हो सकता है। पानी संकट दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोगों के गरिमापूर्ण और गुणवत्तापूर्ण जीवन के अधिकार का उल्लंघन करता है।”
गौरतलब है कि हाल में दिल्ली का तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस अधिक पहुंच गया था। फिलहाल लोगों को भीषण गर्मी से अभी तक कोई राहत नहीं मिल पाई है।