नवभारत न्यूज
खंडवा। ऐसे कर्मवीर के रूप में एसपी मनोज कुमार राय काम कर रहे हैं, जिनके माथे पर इस क्षेत्र को अपराध मुक्त बनाने का जुनून है। सीएसपी, एएसपी के बाद सीनियर आईपीएस बनकर जिले के पुलिस कप्तान की भूमिका निभा रहे हैं। संयोग ही होगा कि मनोज कुमार राय की नौकरी का बड़ा हिस्सा खंडवा से जुड़ा रहा। उत्तरप्रदेश में भले पढ़े लिखे, लेकिन खंडवा उनकी कर्मभूमि रही है। अपराध से लेकर कानून तोडऩे वालों में उनके नाम का टेरर सीएसपी के समय भी बजता था और एसपी बनने के बाद भी।
श्री राय के आते ही अपराधी किस्म के लोग समझ गए थे,कि अब उनकी दाल नहीं गलेगी। अधिकतर थानेदारों को भी आभास हो गया था कि इस अफसर को किसी भी तरह के अपराध दर्ज करने,या ना करने में अपनी मर्जी नहीं चल पाएगी। थानों में दलालों की सबसे पहले शामत आई। बांड ओवर,फरार मुजरिमों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाना या फिर पुरानी चोरियों का खुलासा तेजी से हुआ।
शराब की अवैध
दुकानों का सफाया
आबकारी विभाग का काम भी मनोज राय की कप्तानी में ही ऐसे हुआ कि हजारों लीटर शराब कुछ ही दिनों में पकड़ ली गई। गांव-गांव में बिकने वाली अवैध शराब पर अंकुश लग गया है।
चोरियां भी नहीं के बराबर हो रही हैं। मर्डर जैसे अपराध थम से गए हैं। लोकसभा चुनाव में मनोज राय के नेतृत्व में ताबड़तोड़ अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई कर रिकॉर्ड बना लिया।
डटे हुए हैं,लंबे समय से
पुलिस की छवि सुधारने के लिए यह जरूरी हो गया था,कि लंबे समय से जमे कर्मियों को इधर से उधर किया गया। कुछ मैदानी कर्मचारी तबादले के बाद भी कई थानों में ही जमे हुए हैं।
तीसरी आंख पर नजर कब?
हालांकि, शहर के कई मुख्य स्थलों और थानों में कैमरे लगे हुए हैं लेकिन अधिकतर खराब भी हैं। अनुभवी एसपी ने अभी तक के तीसरी आंख को टटोला नहीं है। गांजे और चरस जैसे मादक पदार्थ खंडवा के रास्ते अन्य बड़े शहरों में जा रहे हैं। बेजुबान पशुओं को वध के लिए इसी जिले के रास्ते ले जाया जा रहा है।