संप्रग सरकार ने घाटे को छुपाने की प्रथा अपनाई: सीतारमण

नयी दिल्ली 27 मई (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि मोदी सरकार ने अपनी बजट प्रथाओं और संख्याओं में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है जबकि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने ऑफ-बजट उधार और ‘तेल बांड’ के माध्यम से घाटे को छुपाने की प्रथा अपनाई, जिसने कुछ हद तक राजकोषीय बोझ को भविष्य की पीढ़ियों पर स्थानांतरित कर दिया गया।

श्रीमती सीतारमण ने एक्स पर एक के बाद एक कुल पांच पोस्ट कर बजट के बारे विस्तृत जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के नेतृत्व वाली सरकार ने ऑफ-बजट उधार और ‘तेल बांड’ जारी करने के माध्यम से घाटे को छुपाने की दोहराई प्रथा, जिसने कुछ हद तक राजकोषीय बोझ को भविष्य की पीढ़ियों पर स्थानांतरित कर दिया।

संप्रग के तहत, बजट संख्या को अनुकूल बनाने के लिए मानक राजकोषीय प्रथाओं को नियमित रूप से बदला गया था।

पारदर्शी बजट वाले देशों को अक्सर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा अधिक अनुकूल रूप से देखा जाता है।
इससे वैश्विक विश्वास में सुधार हो सकता है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पिछले दशक के कार्यकाल में पिछली बाधाओं और पुरानी प्रथाओं को पीछे छोड़ते हुए केंद्रीय बजट की पवित्रता और विश्वसनीयता में पर्याप्त सुधार होने का दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्देशित
शासन में पारदर्शिता, दक्षता और प्रभावशीलता की दृष्टि से सरकार ने बजट को केवल व्यय के रिकॉर्ड से बदलकर समान विकास के रणनीतिक खाका में बदल दिया है।

मोदी सरकार के पिछले दशक के कार्यकाल में पिछली बाधाओं और पुरानी प्रथाओं को पीछे छोड़ते हुए केंद्रीय बजट की पवित्रता और विश्वसनीयता में पर्याप्त सुधार होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा ” हमारे बजट की विशेषता राजकोषीय विवेक, पारदर्शिता और समावेशिता है, जो सामाजिक विकास और बुनियादी ढांचे में निवेश सुनिश्चित करता है।

हम अपने करदाताओं से एकत्र किए गए प्रत्येक रुपये का विवेकपूर्ण और कुशल उपयोग करते हैं और उन्हें सार्वजनिक वित्त की पारदर्शी तस्वीर देते हैं।

हमारी सरकार द्वारा बजटीय प्रक्रिया और प्रथाओं को मजबूत करने और पारदर्शिता लाने के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय और सुधार किए गए हैं।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 से बजट प्रस्तुति फरवरी के आखिरी कार्य दिवस के बजाय 1 फरवरी को कर दी गई है।

इसने व्यय चक्र को प्रभावी ढंग से 2 महीने आगे बढ़ा दिया।
इस सुधार से पहले, ‘लेखानुदान’ के माध्यम से संसद से प्राधिकरण केवल वित्तीय वर्ष के पहले 2 महीनों के लिए उपलब्ध था।

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