चीतों के शिकार के लिए हिरण शाजापुर से लाना है, गर्मी के कारण अफ्रीका की टीम ने पकडऩे से किया मना
नवभारत न्यूज़
नीमच। नीमच-मंदसौर जिले की सीमा पर स्थित गांधीसागर अभयारण्य में नामीबिया से चीते लाने का प्रोजेक्ट बारिश तक टल सकता है। यहां चीतों के भोजन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए शाजापुर से 400 काले हिरण पकडक़र लाने थे, लेकिन पहले हेलिकॉप्टर के टेंडर में तकनीकी गड़बड़ी से अनुबंध नहीं हो पाया और अब गर्मी शुरू होने से अफ्रीका की टीम ने हिरण पकडऩे से इनकार कर दिया है।
टीम के अनुसार गर्मी में शिफ्टिंग के दौरान परेशानी हो सकती है। अब ठंड में हिरण पकडऩे का अभियान चलाया जाएगा। गांधीसागर में निरीक्षण के लिए भी अब तक टीम नहीं पहुंची। अब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई है, जिससे चीतों को लाने का अभियान नवंबर-दिसंबर तक टल सकता है। हालांकि अधिकारी अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
गांधीसागर अभयारण्य के रामपुरा पठार क्षेत्र में चीतों को बसाने के लिए स्थानीय वन विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। 8 हजार 900 हेक्टेयर में बाड़ा बना दिया है।
जंगल व बाड़ा क्षेत्र में चीतों के शिकार के लिए वन विभाग कूनो से 750 एवं वनविहार से 250 चीतल लाने के प्रयास में जुट गया है। गांधीसागर में अब तक 350 से अधिक चीतल छोड़े गए हैं। चीतों के शिकार के लिए हिरण को शाजापुर से लाना है।
शाजापुर जिले में किसान काले व सामान्य हिरण से परेशान हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने अफ्रीका की वाइल्ड लाइफ एंड कंजरवेशन सॉल्यूशन कंपनी को शाजापुर से हिरण पकडऩे का काम दिया है। यह कंपनी वन्य जीवों को पकडऩे में एक्सपर्ट है।