इंदौर:नगर निगम के वादे और उस पर बरती जाने वाली लापरवाही का नतीजा यह होता है कि आम जनता समस्याओं से जूझती रहती है. यहां तक कि शिकायत करने के बावजूद निगम अधिकारी घटनाओं को अनदेखा करते हैं. परिणामस्वरूप जनता असहाय और लाचार होकर सब कुछ सहती रहती है.सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्ट्रीट डॉग के हमलों के बढ़ते मामलों को लेकर इन्हें कंट्रोल करने के लिए आदेश दिए गए थे.
इस पर इंदौर महापौर द्वारा जल्दी कार्रवाई करने की बात कही गई थी. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश जारी हुए 11 दिन बीत चुके हैं, लेकिन स्ट्रीट डॉग पर अंकुश लगाने के कोई ठोस कदम शहर में नहीं दिखाई दे रहे हैं. गली-मोहल्ले हों या स्कूल-कॉलेज परिसर या सरकारी कार्यालय एवं सरकारी अस्पतालों जैसे सार्वजनिक स्थान, सभी जगह आवारा श्वानों का जमघट दिखना आम बात है.
नगर निगम अधिकारियों की लापरवाही तो तब दिखी, जब कलेक्टर कार्यालय में आवारा श्वानों की धमाचौकड़ी देखी गई. बात कलेक्टर परिसर की होती तो भी समझा जा सकता है, लेकिन कलेक्ट्रेट भवन की दूसरी मंजिल जहां कलेक्टर कक्ष एवं जनसुनवाई कक्ष मौजूद है, वहां आवारा श्वान मजे से टहलते नजर आए. यह स्थिति सोमवार को भी थी, जब जनसुनवाई में बड़ी संख्या में पुरुष के अलावा महिलाएं एवं बच्चे भी पहुंचे थे. ऐसे में श्वानों द्वारा किसी पर हमले की घटना होना खतरनाक साबित हो सकता था. स्ट्रीट डॉग द्वारा काटने की आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आ रही हंै, लेकिन नगर निगम अधिकारी इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.
नागरिकों का कहना है
नगर निगम को चाहिए कि एक व्हाट्सएप नंबर जारी करें, ताकि लोग जहां पर भी स्ट्रीट डॉग देखें उसकी फोटो खींचकर सेंड कर सकें, ताकि कार्रवाई जल्दी हो सके.
-इरफान खान
कोर्ट के आदेश के बाद तो निगम को तुरंत टीम गठित करके कार्रवाई कर देना चाहिए, साथ ही यह जरूरी है कि उन क्षेत्रों को चिन्हित कर देना चाहिए, जहां स्ट्रीट डॉग की तादाद ज्यादा है.
– विनीत यादव
शहर काफी बड़ा है और सरकारी अस्पताल, कार्यालय, कॉलेज, स्कूल जैसे सैकड़ों ऐसे स्थान हैं, जहां निगम को तत्काल स्ट्रीट डॉग की रोकथाम के लिए कदम उठाना चाहिए. इसमें शहर की जनता का भी सहयोग लेना चाहिए, जैसे स्वच्छता अभियान में सहयोग लिया जा रहा है.
– शुभम मालवीय
