नयी दिल्ली, 23 जनवरी (वार्ता) भारत समुद्र आधारित अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अपनी वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षमताओं के विस्तार के क्रम में समु्द्र की गहरायी में चलने वाले मानव चालित वाहन इस वर्ष प्रस्तुत कर यह प्रौद्योगिकी सिद्ध करने वाला छठा चुनिंदा देश बन जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी।
डॉ. सिंह ने कहा कि भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को आगे बढ़ाने और नीली (सागरीय) अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा है जिसके तहत देश अपना पहला समुद्र की गहराइयों में चलने में समर्थ मावन परिचालितर्थ वाहन (डीप-सी मैनड व्हीकल) इस साल प्रस्तुत करने के लिए तैयार है।
गुरुवार को जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार डॉ. सिंह ने यहां पृथ्वी भवन में ‘डीप ओशन मिशन’ पर मिशन संचालन समिति की दूसरी बैठक को संबोधित करते हुए इस पहल की अभूतपूर्व प्रकृति का उल्लेख किया। इसके साथ भारत यह तकनीकी क्षमता रखने वाला छठा देश हो जाएगा। विज्ञप्ति में इसके लिए किसी तिथि या माह का संकेत नहीं दिया गया है।
डॉ. सिंह ने कहा कि पहला मानवचालित समुद्री वाहन में 500 मीटर तक की गहराई में चलाया जा सकेगा। अगले साल तक 6,000 मीटर तक की गहरायी तक चलने में सक्षम वाहन तैयार कर लिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत के अन्य ऐतिहासिक मिशनों की समयसीमा के साथ तालमेल रखेगी जिसमें गगनयान अंतरिक्ष मिशन भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि इस प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण खनिजों, दुर्लभ धातुओं और अज्ञात समुद्री जैव विविधता सहित बृहद संसाधनों को खोलने की इसकी क्षमता है और यह देश की आर्थिक वृद्धि तथा पर्यावरणीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कोविड महामारी के कारण भारत के गहरे सागर अभियान में देरी हुई।
बैठक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन के बेरी, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन तथा विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों जैसे प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया।
