नयी दिल्ली, 11 नवंबर (वार्ता) कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भूटान दौरे से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की 1958 की वह ऐतिहासिक यात्रा फिर केन्द्र बिंन्दु में आ गई है जब पंडित नेहरू ने दोस्ती मजबूत करने के लिए जानवरों से भूटान की यात्रा की थी ।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 67 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की भूटान यात्रा की याद दिलाते हुए कहा कि उनकी पांच दिन तक चली 50 किलोमीटर की भूटान यात्रा अत्यंत चुनौतीपूर्ण थी। यही यात्रा भारत और भूटान के बीच विशेष राजनयिक संबंधों की आधारशिला बनी और दोनों देशों के संबंध आज भी इसी आधार पर मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं।
श्री रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा “प्रधानमंत्री आज भूटान में हैं। सड़सठ साल पहले भारत के पहले प्रधान मंत्री ने भूटान की सबसे असामान्य यात्रा की थी। इंदिरा गांधी ,जगत मेहता, नारी रुस्तमजी और आपा पंत जैसे कुछ अधिकारियों के साथ नेहरू ने पहले बागडोगरा के लिए उड़ान भरी और फिर गंगटोक से नाथू-ला दर्रा तक सड़क मार्ग से गये। इस दर्रे तक सड़क का निर्माण उन्हीं दिनों हुआ था। नाथू ला में प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात एक दर्जन याक, कई टट्टू और सौ से अधिक जानवरों के झुंड से हुई। इसके बाद यह काफिला 23 सितंबर, 1958 को पारो पहुंचने के लिए पचास किलोमीटर की दूरी तय करके पांच दिनों तक चला। इस यात्रा में यात्रियों को 15,500 फीट की ऊंचाई वाले स्थानों से यात्रा करनी पड़ी थी।”
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि इस यात्रा के दौरान पंडित नेहरू और उनकी टीम ने पारो में कई आधिकारिक बैठकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हुए पांच दिन बिताए। इसके बाद वे उसी रास्ते से वापस नाथू ला की ओर चले ,जो उन्होंने पारो तक पहुंचने के लिए अपनाया था।
