नयी दिल्ली 01 नवम्बर (वार्ता) केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि नेपाल की नागरिक शंभवी अधिकारी को यहां हवाई अड्डे से बर्लिन जाने से रोकने में भारतीय आप्रवासन ब्यूरो की कोई भूमिका नहीं है और भारत नेपाल के साथ मज़बूत रिश्तों को महत्व देता है।
गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी भारतीय अधिकारी का नेपाल के नागरिकों के खिलाफ कोई भेदभाव या पक्षपात का दृष्टिकोण नहीं है।
मंत्रालय ने शनिवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि रिपोर्टों में कहा गया है कि नेपाल की नागरिक सुश्री शंभवी अधिकारी जो बर्लिन जा रही थीं, उन्हें यहां इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रोक दिया गया और काठमांडू वापस भेज दिया गया। इस घटना को नेपाली नागरिकों के खिलाफ भेदभाव और पक्षपात के तौर पर गलत तरीके से दिखाया गया है।
गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस पूरे मामले में भारतीय आप्रवासन ब्यूरो के अधिकारियों की कोई भूमिका नहीं है। वह यात्री एयर इंडिया से काठमांडू से आई थीं और दिल्ली से ट्रांजिट कर रही थीं। उन्हें कतर एयरवेज़ की कनेक्टिंग फ्लाइट में चढ़ते समय रोका गया। एयरलाइंस ने उनके वीज़ा की वैलिडिटी को देखते हुए उन्हें जर्मनी की आगे की यात्रा से रोकने का फैसला किया और उन्हें काठमांडू वापस भेज दिया। यह आमतौर पर गंतव्य देश के नियमों तथा जरूरतों के अनुसार किया जाता है। इसके बाद उन्होंने अपनी यात्रा की तारीखें फिर से तय कीं और बाद में काठमांडू से दूसरे रास्ते से यात्रा की।
गृह मंत्रालय ने कहा है कि इंटरनेशनल ट्रांजिट यात्रियों को अपनी आगे की यात्रा के लिए भारतीय आप्रवासन ब्यूरो से संपर्क करने की ज़रूरत नहीं होती है और यह एयरलाइंस और यात्री के बीच का मामला है, जिसमें भारतीय अधिकारियों की कोई भूमिका नहीं है।
वक्तव्य में कहा गया है कि भारत नेपाल के साथ अपने मज़बूत रिश्तों को महत्व देता है और यह भरोसा दिलाता है कि किसी भी भारतीय अधिकारी का नेपाल के नागरिकों के खिलाफ कोई भेदभाव या पक्षपात नहीं है।
