17 लाख क्विंटल गेहूं के साथ खरीदी बंद

लक्ष्य के करीब भी नहीं पहुंच पाई समर्थन मूल्य पर गेंहू खरीदी

जबलपुर: जिले में चल रही समर्थन मूल्य पर गेंहू की खरीदी 17 लाख क्विंटल के साथ शुक्रवार को पूरी हो चुकी है। गौरतलब है कि इस वर्ष दो महीने तक चली गेंहू की खरीदी अपने निर्धारित लक्ष्य तक भी नहीं पहुंच पाई है। उल्लेखनीय है कि 29 मार्च से शुरू हुई गेहूं की खरीदी इस वर्ष पूरे 2 महीने तक चली है,जिसमें  जिले में 127 केंद्र बनाए गए थे परंतु 105 खरीदी केंद्रों पर ही लगातार गेहूं की खरीदी चलती रही है.

2 महीने तक चली लगातार खरीदी में इस वर्ष  कुल 18577 किसानों द्वारा 17 लाख 79 हजार क्विंटल गेहूं की खरीदी ही हो पाई है। जो कि अपने लक्ष्य लगभग ढाई लाख मैट्रिक टन से बहुत ही कम है। इस वर्ष गेहूं खरीदी में कड़े नियम बनाए गए थे जिसको लेकर खरीदी केंद्र पर किसानों द्वारा बहुत ही कम मात्रा में गेहूं को पहुंचाया गया है। जिसके चलते किसानों को काफी समस्याओं का भी सामना करना पड़ा और उन्होंने प्राइवेट रुप से अपने फसल को बेचना उचित समझा था।
प्राइवेट रुप से मंडी में ज्यादा बिका गेहूं
इस वर्ष खरीदी केंद्रों पर सभी किसानों से साफ माल खरीदा जा रहा था। जिसके कारण उनकी फसलों को सर्वेयर द्वारा खराब होने पर रिजेक्ट करने की शिकायत मिल रही थी।  जिस पर परेशान होकर किसानों ने प्राइवेट रूप से अपनी फसल को बेचना उसे समझा था। जिसके लिए किसान व्यापारियों और प्राइवेट रूप से गेहूं बेचने के लिए मंडियों में पहुंच रहे थे। नियम के स्वरूप इस बार एफएक्यू क्वालिटी का गेहूं ही सोसाइटी में खरीदा जा रहा था,जिसके लिए कई बार किसानों का गेहूं सर्वेयर द्वारा रिजेक्ट कर दिया जाता था। जिसके कारण किसान परेशान हो रहे थे इसी परेशानी से छुटकारा पाने के लिए अब किसानों द्वारा प्राइवेट रूप से अपना गेहूं बेचा जा रहा है,इसके लिए रोजाना मंडियों में किसानों की भीड़ देखने को मिल रही है।
क्वालिटी को लेकर रिजेक्ट हुआ गेहूं
समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए अच्छी क्वालिटी वाला एफएक्यू वाला गेहूं ही खरीदने की लिए आदेशित किया गया है। जिसके कारण खरीदी केंद्रों पर सर्वेयर द्वारा क्वालिटी अच्छी न होने के कारण किसानों का गेहूं रिजेक्ट कर दिया जाता था। ऐसे नियमों के चक्कर में किसानों द्वारा बहुत ही कम मात्रा में खरीदी केंद्रों पर गेंहू पहुंचाया गया था। किसानों को भी यह निर्देश दिए गए हैं कि वह अपना गेहूं साफ सुधार करके ही लेकर आए और अगर नॉन- एफएक्यू गेहूं निकालता है तो उसकी सफाई के लिए भी खरीदी केंद्रों पर छन्ना आदि की व्यवस्था की गई थी। परंतु कुछ किसान अपना साफ अच्छी क्वालिटी का माल लेकर भी पहुंच रहे हैं,तो उनको भी समिति प्रबंधकों द्वारा किसी न किसी बहाने से क्वालिटी अच्छी न होने के कारण साफ करने के लिए कहा जाता था। जिसके कारण किसानों की जेबें ढीली हो रही थी और अपने ही पैसे से किसान खरीदी केंद्रों पर अपनी फसल की सफाई करानी पड़ती।
दो बार बढ़ाया गया था खरीदी की तिथि को
शासन द्वारा 29 मार्च से शुरू हुई गेहूं की खरीदी की तिथि पहले 15 मई तक रखी गई थी। परंतु अप्रैल महीने में बहुत ही कम मात्रा में गेहूं की खरीदी हो पाई थी। जिसके चलते इसकी तिथि को 20 मई तक बढ़ा दिया गया था। परंतु उसके बावजूद भी गेहूं का आंकड़ा अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया। इसके लिए इसकी तिथि को 31 मई तक बढ़ा दिया गया था। अब 31 मई तक कुल 17 लाख क्विंटल गेहूं की खरीदी ही हो पाई है।

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