कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता चेतराम भदोरिया पूर्व रिटायर्ड एस पी ने उपस्थित साथियों को कम्युनिस्ट आंदोलन आजादी के पूर्व और आजादी के बाद एवं वर्तमान परिस्थितियों में विस्तार से चर्चा करते हुए अपनी बात रखी और कहा कि दो ही वर्ग होते हैं , शोषण करने बाला एवं शोषित होने वाला वर्ग। आम जनता इस बात को नहीं समझती गुमराह हो जाती है जब तक शोषण होता रहेगा। इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं को इस पर आगे कार्य करना होगा ,बिना व्यवस्था परिवर्तन मजदूर किसान की सत्ता के बिना गरीब गरीब होता चला जाएगा ।
कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता म प्र राज्य कार्यकारी सदस्य कौशल शर्मा, संजीव राजपूत, राज्य परिषद सदस्य अशोक पाठक, अंजलि परमार, रविंद्र सरवटे एडवोकेट, रतन वर्मा एडवोकेट एवं उमेश वशिष्ठ ने संबोधित करते हुए कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के संघर्षपूर्ण गौरवशाली 100 वर्षों का इतिहास देश के मजदूरों, किसानों, छात्रों, और नौजवानों के संघर्षों, आजादी पसंद आवाम के पहलकदमियों और बलिदानों से भरा हुआ है। आजादी पूर्व 1925 में पार्टी की स्थापना सामंतवाद, पूंजीवाद और साम्राज्यवाद विरोध से उद्वेलित विचारों ने अपनी अहम भूमिका निभाई और कम्युनिस्टों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना मुख्य योगदान देते हुए भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग उठाई, और देश के स्वाधीनता आंदोलन को मजबूत किया। पार्टी के प्रभाव ने भगतसिंह और पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को उखाड़ फेंकने का आव्हान करते हुए अपनी शहादतें दीं। यही नहीं देश के हर वर्ग के लोगों के बीच उनके जुझारू संगठन जैसे ट्रेड यूनियन, किसान संगठन, लेखक और विद्यार्थी संगठन के अलावा सांस्कृतिक संगठन भी स्वतंत्रता आंदोलन की तीव्रता के लिए स्थापित कराए।