० मकान निर्माण के लिये अधिकांश लोग महंगे दामों में करा रहे बोर उत्खनन, सीधी जिला घोषित जल अभावग्रस्त क्षेत्र
नवभारत न्यूज
सीधी 21 मई। भीषण गर्मी में भू-जल स्तर लगातार नीचे खिसक रहा है। जल संकट के मद्देनजर कलेक्टर द्वारा सीधी जिले को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया है। फिर भी गलत जानकारी देकर बोर उत्खनन के लिये लगातार अनुमति ली जा रही है जो चर्चा का विषय बना हुआ है।
बताते चलें कि सीधी जिले में भू-जल स्तर के लगातार नीचे खिसकने के कारण कलेक्टर द्वारा बोर उत्खनन पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिला प्रशासन द्वारा पिछले माह तत्काल प्रभाव से मप्र पेयजल अधिनियम 1986 की धारा 3 के तहत भू-जल को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से जिले की समस्त तहसीलों को अगली बारिश आने तक या अन्य आदेश तक जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है। यह आदेश लागू होने से कोई भी व्यक्ति अपने क्षेत्र के संबंधित अधिकारी की अनुमति के बगैर पेयजल स्त्रोत का उपयोग सिंचाई साधन तथा व्यवसायिक उद्देश्य से नहीं कर सकता। इसके साथ ही जल स्त्रोत हैण्डपम्प या ट्यूबवेल से 200 मीटर की परिधि में अन्य हैण्डपम्प या ट्यूबवेल का उत्खनन नहीं कर सकेगा। आदेश के अनुसार किसी भी निस्तारी तालाब के पानी का उपयोग सिंचाई अथवा व्यवसायिक कार्य के लिये नहीं किया जा सकेगा। यह आदेश शासकीय विभाग द्वारा उत्खनन कराये जाने वाले नलकूपों के खनन पर लागू नहीं है।
विशेष परिस्थिति में एसडीएम की लिखित अनुमति से नलकूप खनन किया जा सकता है। जानकारों के अनुसार सीधी जिले में बोर उत्खनन के प्रतिबंधित होने के बावजूद दलालों का एक रैकेट लगातार बोर उत्खनन में सक्रिय है। प्रतिबंध से पहले बोर उत्खनन का रेट 80-85 रूपये फिट था, अब प्रतिबंध के बाद बोरिंग का रेट 110 से 130 रूपये फिट लिया जा रहा है। मकान का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों मे भी काफी तेजी के साथ इन दिनों हो रहा है। अधिकांश लोग मकान निर्माण के लिये ही महंगे दामों पर बोर का खनन करा रहे हैं। इसके लिये बोरिंग मशीन संचालकों द्वारा ग्राहकों से सौदा तय करने के बाद पुरानी अनुमति की आड़ में भी बोरिंग का काम धड़ल्ले से कर रहे हैं। यहां तक कि बोरिंग संचालक एक अनुमति लेने के बाद कई स्थानों पर उसी की आड़ में बोरिंग करने में पीछे नहीं हैं।
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ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे सर्वाधिक बोर खनन
जिला मुख्यालय के समीपी ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिन सबसे ज्यादा बोर खनन हो रहे हैं। बताया गया है कि इसके लिये दलालों का एक रैकेट काम कर रहा है। उसके द्वारा बोर खनन के लिये सौदा तय होते ही भूमि का खसरा एवं अन्य आवश्यक कागजात लेकर उनके द्वारा बोर खनन की अनुमति कुछ घंटे के अंदर ही एसडीएम कार्यालय से हासिल कर ली जाती है। इसमें बोर खनन कराने वाले को भटकने की जरूरत नहीं रहती।
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इनका कहना है
गलत जानकारी देकर बोर उत्खनन की अनुमति लेने की जानकारी यदि ब्यौरा के साथ प्राप्त होती है तो इस पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। यहां तक कि जिन बोरों का उत्खनन गलत तरीके से किया गया है उस पर भी कार्रवाई होगी। यदि गलत जानकारी देकर बोर खनन के मामले सामने आते हैं तो लोग इसकी सीधे जानकारी उनके पास दे सकते हैं।
प्रिया पाठक
एसडीएम गोपदबनास, सीधी
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