प्रकरण के निराकरण तक गौशाला की नहीं टूटेगी कोई दुकान, कोर्ट ने दिया स्टे

प्रशासन की हर कार्यवाही पर मिल रहा है स्टे, सरकारी वकील दमदारी से नहीं रख पा रहे प्रशासन का पक्ष

 

शाजापुर, 6 नवंबर. शाजापुर के नईसडक़ पर गोपाल गौशाला द्वारा जिन दुकानदारों को दुकानें आवंटित की गई थी, उन दुकानों को जीर्ण-शीर्ण बताकर प्रशासन ने तोडऩे की कार्यवाही की थी. इस मामले में कार्यवाही को रोकने के लिए स्थगन आदेश जारी किया गया था, लेकिन इसके पहले ही कई दुकानदारों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए थे और कुछ दुकानें गिरा दी गई थी. मामले में अभिभाषक के खिलाफ भी शासकीय कार्य में बाधा का मामला दर्ज किया गया था. जो अभिभाषक प्रशासन के पास कार्यवाही रोकने के लिए कोर्ट का आदेश लेकर पहुंचे थे. अब इस मामले में न्यायालय ने प्रकरण के निराकरण तक स्टे जारी किया है.

गौरतलब है कि 11 सितंबर 2024 को नईसडक़ स्थित गोपाल गौशाला की दुकानों पर बुल्डोजर चलाने की कार्यवाही शुरू की गई थी, लेकिन इस बीच कुछ दुकानदारों ने न्यायालय में शरण ली और दुकानदार के अभिभाषक नरेंद्र तिवारी ने इस मामले में कार्यवाही को रोकने के लिए न्यायालय से स्टे लिया था, लेकिन स्टे आदेश विलंब से मिलने के कारण प्रशासनिक अधिकारियों ने कुछ दुकानें तोड़ दी थी. इस मामले में अभिभाषक के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था. दुकानदार पंकज नाथ, नवीन राठौर, राजेश सक्सेना, संजय पाठक, शैलेंद्र राठौर, कमलाकर तांबेकर, दिनेश पाटीदार, अब्दुल करीम ने इस मामले में द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंडपीठ शाजापुर में वाद क्रमांक 136/24 दायर किया था. जिसमें अधिवक्ता नरेंद्र तिवारी ने पूरी कार्यवाही को अवैधानिक बताते हुए न्यायालय से प्रकरण निराकरण होने तक स्थगन आदेश लिया.

 

इन मामलों में मिला है स्टे…

 

चौक के वाचनालय की दुकानों के मामले में तोडऩे के नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन यहां भी न्यायालय से दुकानदार स्टे ले आए. दुपाड़ा रोड के श्रीराम मंदिर के एक सर्वे पर स्टे मिला. नईसडक़ के राम मंदिर की दुकानों पर भी स्टे मिला और अब गोपाल गौशाला की दुकानों के मामले में भी स्टे जारी किया गया है. वहीं गिरवर रोड पर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए जब प्रशासनिक अमला पहुंचा था, तो पता चला कि उस जमीन पर पहले से ही स्टे था. इसे अधिकारियों की नाकामी कहें या सरकारी वकीलों की लचर व्यवस्था.

 

हर कार्यवाही पर मुंह की खाना पड़ रही प्रशासन को

 

शाजापुर के कई संवेदनशील मामलों में प्रशासन तोडऩे का नोटिस जारी करता है, लेकिन न्यायालय से प्रशासन की कार्यवाही पर या तो स्टे मिल जाता है या फिर रोक लग जाती है. अब इसे सरकारी वकीलों की नाकामी कहें या फिर बिना कागज देखे प्रशासन की ताबड़तोड़ कार्यवाही का नतीजा. गोपाल गौशाला की दुकानों के मामले में भी न्यायालय से स्टे मिला. आधा दर्जन से अधिक मामलों में अभी तक न्यायालय से स्टे मिले हैं.

 

शासन का पक्ष ठीक ढंग से नहीं रख पा रहे सरकारी वकील…

 

लगातार हर मामले में प्रशासन की कार्यवाही पर न्यायालय से स्टे मिल रहे हैं. इससे सवाल यह उठता है कि न्यायालय में शासन के पक्ष की पैरवी सरकारी वकील उतनी मजबूती से नहीं कर पा रहे हैं जितनी मजबूती से पक्षकारों के वकील पक्षकारों को स्टे दिलाने में कर रहे हैं. शाजापुर के और भी कई अतिमहत्वपूर्ण मामले हैं, जिनमें न्यायालय से स्टे जारी किए गए हैं.

 

इनका कहना है

गोपाल गौशाला की दुकानें स्टे के बावजूद भी तोड़ी गई थी. अब पूरे मामले में प्रकरण के निराकरण तक न्यायालय ने स्थगन आदेश दिया है. बिना आदेश के बिजली कनेक्शन काटने पर विद्युत विभाग के खिलाफ क्षतिपूर्ति दावा लगाया गया है.

-नरेंद्र तिवारी, गोपाल गौशाला दुकानदारों के अभिभाषक

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