मंडला: मंडला में भारी बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार कम समय में रिकॉर्ड बारिश हुई है, जिसने मंडला जिले को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। जिले में अब तक 65.8 इंच बारिश दर्ज की गई है, जो प्रदेश में सर्वाधिक है। वहीं सिवनी में 57.1 इंच पानी गिर चुका है। लगातार हो रही बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं और कई इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की तीव्रता और आवृत्ति में लगातार वृद्धि हो रही है। अब कम समय में तेज और मूसलधार बारिश का पैटर्न बनता जा रहा है, जिससे हालात बेकाबू हो जाते हैं। नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। बरगी और तवा डैम से पानी छोड़े जाने के बाद निचले इलाकों में खतरा और बढ़ गया है।
बारिश के चलते कई जगह सड़कें बंद हो गई हैं और यातायात प्रभावित है। भारी वर्षा से बाढ़ के साथ ही भूस्खलन का खतरा भी गहराता जा रहा है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि वातावरण में बढ़ती नमी और तापमान में वृद्धि के कारण बारिश की तीव्रता में इजाफा हो रहा है।राज्य में अब तक औसतन 10.8 इंच बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो पूरे मानसून सीजन का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा है। मौसम विभाग के अनुसार प्रति घंटे 7.6 मिमी से अधिक बारिश भारी वर्षा की श्रेणी में आती है।
जानकारों का कहना है कि जीवाश्म ईंधन के जलने और वनों की कटाई के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, जिससे बारिश लगातार तीव्र और अनियंत्रित होती जा रही है। ऐसे में जरूरी है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए शासन-प्रशासन ठोस रणनीति तैयार करे ताकि जान-माल की सुरक्षा के साथ फसलों को भी बचाया जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में मानसून की अनिश्चितता और चरम मौसम की घटनाएं और बढ़ सकती हैं। इसलिए वर्षा वितरण और मानसून के प्रदर्शन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
