बस किराया वसूली की नहीं होती जांच, बस कंडक्टर उठा रहे फायदा
नवभारत न्यूज
सीधी 14 मार्च। जिला मुख्यालय के बस स्टैण्ड में रोजाना करीब डेढ़ सैकड़ा बसें पहुंचती हैं। किसी में भी किराया सूची चस्पा नहीं है। बसों में किराया सूची नहीं होने से यात्रियों को किराए की जानकारी नहीं मिल पाती है, इसका फायदा उठाकर बस कंडक्टर ज्यादा किराया वसूल रहे हैं। मजबूरन यात्रियों को ये बढ़ा मनमानी पूर्ण किराया चुकाना पड़ रहा है। इसकी शिकायत के बाद भी बस संचालकों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।
दरअसल किराया सूची न होने के कारण बस कंडक्टर और यात्रियों में आए दिन विवाद की स्थिति बनती है। परिचालक यात्रियों से मनमाना किराया वसूलते हैं और जब कोई यात्री इसका विरोध करने की हिम्मत दिखाता है तो बस चालक और परिचालक उसे रास्ते में ही बस से उतारने की धमकी देने के साथ बस में बैठी सवारियों के बीच बदसलूकी करने को तैयार रहते हैं। बसों में आरटीओ की ओर से किराया सूचीए लाइसेंस व परमिट की डिटेलए फस्र्ट एड बॉक्सए अग्निशमन सिलेंडर आदि होना जरूरी है।बसों में किराया सूची नहीं होने से इसका लाभ कंडक्टर व चालक उठा रहे हैं और मनमाना किराया यात्रियों से ले रहे हैं। वहीं रात में चलने वाली बसों में क्षमता से अधिक यात्रियों को गैलरी में बैठाकर लंबी यात्रा के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बस संचालकों द्वारा यात्रियों की सुविधा को अनदेखा करने से लोगों में काफी आक्रोश है। यात्रियों का कहना है कि निजी यात्री बस संचालकों की मनमानी पर परिवहन विभाग द्वारा अंकुश नहीं लगाने के कारण लंबी दूरी व ग्रामीण अंचलों तक चलने वाली बसों में लोगों की यात्रा बेहद कष्टदाई हो गई है। बस संचालक यात्रियों से मनमाना किराया न वसूल सकें और बस संचालकों और यात्रियों के बीच तू-तू, मैं-मैं की स्थिति न आए इसके लिए आरटीओ एक बैठक तक नहीं कर पाए जिसमें बस संचालकों को साफ निर्देश दिए जा सके कि यात्रियों के किसी भी प्रकार की अभद्रता नहीं की जाए। इसके साथ ही समय-समय पर निर्देशित किया जा सके। इसके बावजूद भी बस संचालको ने ध्यान नहीं दिया।
यात्रियों कि माने तो कि किसी भी बस में किराया सूची नहीं लगाने से मनमाना किराया का भुगतान करना पड़ रहा है। इन दिनों बस मालिकों में फिर से प्रतिस्पर्धा का दौर शुरू हो गया है। इसके कारण यात्रियों के साथ अभद्र व्यवहार करने की शिकायतें सामने आ रही हैं। वहीं फोरलेन हाइवे पर टूरिस्ट परमिट बसों में सवारियों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। इससे कभी भी हादसे की आशंका बनी हुई है। इस वजह से हाइवे का यह सफर लोगों के लिए मौत का सफर बनता जा रहा है। ज्यादा सवारियां बैठाकर यातायात व्यवस्था चौपट की जा रही है जिससे हर रोज यात्रियों के जान पर संकट मंडऱा रहा है। इतना ही नहीं टूरिस्ट परमिट बस संचालकों द्वारा बसों में महिलाओं और दिव्यांगों के लिए भी आरक्षित सीट नहीं दी जा रही है। न ही बसों में किराया सूची चस्पा की गई है जिससे मनमाना किराया बस संचालक वसूल रहे हैं। खास बात यह है कि पुलिस व प्रशासन के जिम्मेदार लोग मौन साधे हुए है और इन बिगड़ते हालातों पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिससे स्थिति बिगड़ती जा रही है। बसों पर कार्रवाई करने से जिम्मेदार कतरा रहे है।
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टूरिस्ट परमिट के नाम पर चल रही कई बसें
जिले मे एक दर्जन से अधिक टूरिस्ट परमिट के नाम पर बसों का संचालन किया जा रहा है। बस संचालकों की दबंगई के कारण यात्री शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है। प्राय: देखा जाए तो टूरिस्ट परमिट के नाम पर बसों में भेड़-बकरियों की तरह यात्रियों को ठूंस-ठूंस कर भरकर सवारी बस में कैसे इस्तेमाल कर सकतें है। इन बसों में यात्रियों के साथ-साथ लगेज को भी ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। साथ ही पूरे बस का करियर ग्रामीणों के बोरे से भरा होता है। ऐसी बसों को तुरंत जब्त कर लेना चाहिए थी। इसकी जांच करने के बजाय मात्र दो-तीन दिनों तक अलग-अलग बस संचालकों से जुर्माना वसूल कर उन्हें फिर से खुलेआम छूट दे दी जाती हैं।
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इनका कहना है
यात्री बसों की समय-समय पर जांच की जाती है। कुछ दिन पूर्व ही ज्यादा किराया लेने की शिकायत पर तीन बसों पर 15-15 सौ रूपये की जुर्माना कार्रवाई की गई थी। बसों में किराया सूची चस्पा करने का निर्देश पूर्व से जारी है। जल्द ही बसों का निरीक्षण कर किराया सूची चस्पा है या नहीं इसकी जांच भी की जायेगी।
आशुतोष भदौरिया, प्रभारी आरटीओ सीधी
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