आधुनिक समय में संयुक्त परिवार एक दृष्टि

सुरुचि मिथलेश कुमार सिंह, लेखक

हिंदू सनातन धर्म संयुक्त परिवार को श्रेष्ठ शिक्षण संस्थान मानता है. धर्मशास्त्र कहते हैं कि जो घर संयुक्त परिवार का पोषक नहीं है, उसकी शांति और समृद्धि सिर्फ एक भ्रम है. आज के बदलते सामाजिक परिवेश में संयुक्त परिवार तेजी से टूट रहे हैं और उनकी जगह एकल परिवार आकार लेते जा रहे हैं. वर्तमान जीवनशैली और प्रतिस्पर्धा के दौर में तनाव के साथ अन्य मानसिक समस्याओं से निपटने में अपनों का साथ अहम भूमिका निभा सकता है, यह बात स्वय सिद्ध की जा चुकी है. और बात जब अपनों की आती है तो फिर परिवार और संयुक्त परिवार ही वह स्तम्भ नजर आते हैं, जहाँ अपनों का निर्माण होता है.

 

मुसीबत में सहारा बनता है परिवार

रिश्ते मजबूत यूं तो दुनिया में आपको तमाम दोस्त मित्र मिलते हैं, किन्तु जिनके साथ आप अपने जीवन का लंबा हिस्सा व्यतीत करते हैं, वह आखिर आपका परिवार ही तो होता है. खासकर, संयुक्त परिवारों में काफी लोगों की मौजूदगी आपको सामाजिक बनाती है तो मुसीबत के समय एक दुसरे के लिए सहारे का काम भी करती है. हाँ, इसके लिए संयुक्त परिवार की रक्षा करनी होती है और वह होती है सम्मान, संयम और सहयोग से. सच कहा जाए तो, संयुक्त परिवार से संयुक्त उर्जा का जन्म होता है और संयुक्त उर्जा दुखों को खत्म करती है, ग्रंथियों को खोलती है. हालाँकि, अगर परिवार को सींचने में आपके सद्कर्म और सही ढंग से अर्जित किये गए संशाधन शामिल नहीं होते हैं तो इसके विपरीत कलह से कुल का नाश भी होता है. वस्तुतः संयुक्त हिंद परिवार का आधार है कुल, कुल की परंपरा, कुल देवता, कुल देवी, कुल धर्म और कुल स्थान. इन्हीं के आधार पर संयुक्त परिवार के लोग एक स्थान पर एकत्रित होकर समस्याओं का हल ढूंढते थे और कारवाँ आगे बढ़ता चला जाता था.

बच्चे के विकास के लिए अमृततुल्य

हालाँकि, वर्तमान में संयुक्त हिन्दू परिवार में अहंकार और ईर्षया का स्तर बढ़ गया है, जिससे परिवारों का निरंतर पतन स्वाभाविक ही है. ईर्षया और पश्चिमी सभ्यता की सेंध के कारण हिन्दुओं का ध्यान न्यूक्लियर फेमिली की ओर यादा हो गया है और इसी कारण परिवार के सहयोग से व्यक्ति वंचित हो जा रहा ससे भी बड़ी बात यह है कि संयुक्त परिवार बच्चे के विकास के लिए अमृत तुल्य होता है, खासकर उसके मानसिक विकास के लिए। वहीं एकल परिवार में बचे के मस्तिष्क की संरचना अलग हो जाती है, जो कई बार सामाजिक तालमेल में अक्षम सिद्ध होती है और नतीजतन अपराध और असामाजिक कार्यों में दुर्भाग्यपूर्ण बढ़ोत्तरी हो रही है. इसी क्रम में चर्चा करने पर हमें पता चलता है कि शास्त्र के अनुसार स्त्री परिवार का केंद्र बिंदु है और उसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण रोल है परिवार को संजोने में. ऐसे ही, घर के बुजुर्ग की बातों का सम्मान और पालन करने पर संयुक्त परिवार की संरचना मजबूत होती जाती है. वैज्ञानिक ढंग से परिवार के सदस्य अगर अपना रोल निभाएं

विचार मतभेद पर करें सम्मिलित चर्चा

संयुक्त परिवार में किसी विचार पर मतभेद होने पर संयमित रहकर सदस्यों से एकांत में और फिर सम्मिलित चर्चा करना चाहिए, इससे भी महत्वपूर्ण है कि स्त्री, पुरुष दोनों को अपना चरित्र उत्तम बनाए रखना चाहिए, संयुक्त परिवार में जहाँ बुजुर्गों का ख्याल रखने में सहूलियत होती है, वहीं हमारे बचे दादा-दादी, काका-काकी, बुआ आदि के प्यार की छांव में खेलते-कूदते और संस्कारों को सीखते हुए बड़े होते हैं.

तलाक के बढ़ते मामलों से बचाएगा संयुक्त परिवार

समाज के सामने सबसे बड़ा सवाल सामने आ रहा है तलाक के रूप में! एकल परिवार में विवाद के समय कोई किसी को समझाने वाला नहीं होता है तो सही राह भी नहीं दिखती है. कहा जा सकता है कि तलाक के बढ़ते मामलों से हमें संयुक्त परिवार बचा सकता है. इसके अतिरिक्त संयुक्त परिवार से सम्बंधित अनेक सिद्धांत और परिणाम हैं, जो मानव मात्र के लिए न केवल आवश्यक हैं बल्कि अनिवार्य भी होने चाहिए! जैसे, यदि आप घर के सदस्यों से प्रेम नहीं करते हैं तो आपसे धर्म, देश और समाज के प्रति प्रेम या सम्मान की अपेक्षा भला कैसे की जा सकती है? थोड़ी सी सावधानी और नियमित दिनचर्या से हम संयुक्त परिवार को न सिर्फ टूटने से बचा सकते हैं, बल्कि घर में एक खुशनुमा वातावरण भी बना सकते हैं, जैसे घर के सभी सदस्य एक साथ बैठकर ही भोजन करें. साथ बैठ कर भोजन करने से एकता और प्रेम बढ़ता है, यह बात तो सभी जानते हैं, किन्तु मानते कितने हैं, इस बात में बड़ा क्वेश्चन मार्क है. कुछ छोटी मगर महत्वपूर्ण बातों की ओर इशारा करें तो, घर के सभी सदस्य एक दूसरे से हर तरह के विषयों पर शांतिपूर्ण तरीके से वार्तालाप करें, तो किसी भी सदस्य पर अपने विचार नहीं थोपे जाने चाहिए, घर में हंसी खुशी का माहौल रहे, इसके लिए सभी को अपने स्तर पर प्रयास करने चाहिए

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